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उत्पन्ना एकादशी 2025: इस दिन भूलकर भी न करें तुलसी से जुड़ी ये गलतियां, चाहते हैं आपके घर में मां लक्ष्मी का वास तो रखें इन बातों का ध्यान


उत्पन्ना एकादशी 2025: हर महीने की तरह इस बार भी मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली उत्पन्ना एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत और पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन तुलसी माता निर्जला व्रत रखती हैं इसलिए तुलसी से जुड़ी कुछ सावधानियां जरूरी हैं।

प्रकाशित तिथि: सोम, 10 नवंबर 2025 03:34:11 अपराह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: सोम, 10 नवंबर 2025 03:34:11 अपराह्न (IST)

मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी 15 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी.

पर प्रकाश डाला गया

  1. -एकादशी के दिन तुलसी पर जल न चढ़ाएं।
  2. तुलसी महारानी के पत्ते तोड़ना वर्जित है।
  3. साफ-सुथरे स्थान पर देवी लक्ष्मी का वास होता है।

धर्म डेस्क: हर माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत रखने की परंपरा है। मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी (उत्पन्ना एकादशी 2025) को विशेष माना जाता है। इस दिन भक्त व्रत और तुलसी पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन तुलसी माता से जुड़े नियमों का पालन करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में स्थायी रूप से निवास करती हैं।

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धार्मिक मान्यता के अनुसार, तुलसी माता एकादशी तिथि पर निर्जला व्रत रखती हैं, इसलिए इस दिन तुलसी को जल चढ़ाना वर्जित माना गया है। तुलसी को जल चढ़ाने से उनका व्रत टूट सकता है। साथ ही तुलसी के पत्ते तोड़ना भी वर्जित है, क्योंकि इससे देवी लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं और व्रत का पूरा फल नहीं मिल पाता है।

-एकादशी के दिन तुलसी के पौधे के पास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि गंदगी के कारण घर में देवी लक्ष्मी का वास नहीं होता है और जीवन में आर्थिक तंगी बढ़ सकती है। इसके अलावा गंदे या गंदे हाथों से तुलसी को छूना भी अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से घर में नकारात्मकता बढ़ती है और सौभाग्य में कमी आती है।

उत्पन्ना एकादशी 2025 की तिथि और शुभ समय (उत्पन्ना एकादशी तिथि शुभ मुहूर्त)

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 15 नवंबर 2025, दोपहर 12:49 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 16 नवंबर 2025, दोपहर 02:37 बजे
  • शीघ्र तिथि: 15 नवंबर 2025, शनिवार

उत्पन्ना एकादशी 2025 व्रत पारण का समय:

  • दिनांक: 16 नवंबर 2025
  • समय: दोपहर 12:55 से 03:08 बजे तक

ये भी पढ़ें- उत्पन्ना एकादशी 2025: उत्पन्ना एकादशी पर भूलकर भी न करें ये गलतियां, नहीं मिलेगा व्रत का फल!

अस्वीकरण: इस लेख में उल्लिखित उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। यहां इस आर्टिकल फीचर में जो लिखा गया है, नईदुनिया उसका समर्थन नहीं करता। इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/किंवदंतियों से एकत्रित की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य या दावा न मानें और अपने विवेक का प्रयोग करें। नईदुनिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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