लखनऊ. उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक बार फिर वैश्विक निवेश आकर्षित करने की तैयारी में हैं। इसी क्रम में मुख्यमंत्री जल्द ही सिंगापुर और जापान में निवेश के लिए रोड शो का नेतृत्व करेंगे. आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया कि योगी का दौरा राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी अंतरराष्ट्रीय निवेश योजना का हिस्सा है, जिसके तहत राज्य को विदेशी निवेशकों के लिए पसंदीदा गंतव्य के रूप में स्थापित करना है। मुख्यमंत्री पहले सिंगापुर और बाद में जापान में रोड शो करेंगे. इस दौरान वह दोनों देशों के शीर्ष औद्योगिक समूहों, निवेशकों और व्यापारिक संगठनों से मुलाकात करेंगे और उत्तर प्रदेश में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।
मुख्यमंत्री के दौरे को सफल बनाने के लिए ‘इन्वेस्ट यूपी’ ने विस्तृत खाका तैयार किया है. इस मिशन के तहत मुख्यमंत्री के दौरे से पहले पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सिंगापुर और जापान का दौरा करेगा, जो संभावित निवेशकों, व्यापारिक घरानों और चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के साथ प्रारंभिक चर्चा करेगा. टीम दो दिन सिंगापुर और तीन दिन टोक्यो में रहकर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी, जिसके आधार पर मुख्यमंत्री के दौरे की रूपरेखा तय की जाएगी. मुख्यमंत्री के इन दौरों को सफल बनाने की जिम्मेदारी इन्वेस्ट यूपी के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी शशांक चौधरी को सौंपी गई है। अधिकारियों ने बताया कि इस उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल में मुख्यमंत्री के साथ वरिष्ठ मंत्री भी शामिल होंगे.
औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने कहा कि राज्य सरकार विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए वैश्विक साझेदारी को लगातार मजबूत कर रही है। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश को वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में विकसित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।” अधिकारियों के मुताबिक, राज्य सरकार ताइवान, जर्मनी, फ्रांस, सिंगापुर, रूस, जापान और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में निवेश रोड शो आयोजित करने की योजना पर भी काम कर रही है।
इन्वेस्ट यूपी ने इन सभी देशों के लिए निवेश संबंधी गतिविधियों को सुचारू रूप से समन्वयित करने के लिए एक समर्पित विदेशी डेस्क भी स्थापित किया है। सरकार का ध्यान सेमीकंडक्टर, कपड़ा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रक्षा, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिक वाहन, पर्यटन, रसायन, विमानन, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्युटिकल, इलेक्ट्रिकल, प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, कंप्यूटर उपकरण, मशीनरी, गैस और जहाज निर्माण जैसे क्षेत्रों में निवेश के लिए विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने पर है।



