पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण के मतदान से पहले रविवार को प्रचार थम गया, लेकिन सबसे बड़ी राजनीतिक चर्चा इस बात को लेकर रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक साझा मंच, बैठक या रोड शो में क्यों नहीं दिखे. विपक्ष ने यह सवाल उठाया और दावा किया कि बीजेपी चुनाव के बाद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाने जा रही है.
इन अटकलों के बीच बिहार चुनाव के प्रभारी केंद्रीय मंत्री… धर्मेन्द्र प्रधान स्थिति स्पष्ट कर दी है। एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने ये बात कही पीएम और सीएम का एक साथ मंच पर न आना ‘राजनीतिक दूरी’ नहीं, बल्कि पहले से तय ‘प्रचार रणनीति’ है का हिस्सा था.
“यह कोई राजनीतिक संदेश नहीं था, यह एक रणनीतिक निर्णय था” – प्रधान
धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि चुनाव की घोषणा से पहले ही पीएम मोदी के करीब हैं 7-8 बड़े सरकारी कार्यक्रम के लिए बिहार आये थे.
24 अक्टूबर एनडीए के औपचारिक चुनाव अभियान की शुरुआत समस्तीपुर से हुई, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी, नीतीश कुमार, चिराग पासवान, उपेन्द्र कुशवाहा समेत सभी प्रमुख नेता मौजूद रहे.
प्रधान ने कहा:
“हमारी रणनीति थी कि सभी नेता अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर प्रचार करें. छठ और बारिश के कारण समय कम था, इसलिए सभी स्टार प्रचारकों को अलग-अलग क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई.”
उन्होंने बताया कि रविवार देर रात तक एनडीए नेताओं की बैठकें चलती रहीं.
सिंबल को लेकर वोटरों में असमंजस? प्रधान ने जवाब दिया
कुछ क्षेत्रों में मतदाताओं के बीच भ्रम की स्थिति थी कि वे ‘तीर’ चलो भी ‘Lotus’ किसे वोट देना है? कई लोग जदयू के प्रतीक हैं ‘तीर’ ढूंढते हुए देखा गया.
इस पर प्रधान ने कहा कि एनडीए पहले भी कई बार एकजुट होकर चुनाव लड़ चुकी है:
“चाहे 2005, 2010, 2020 के विधानसभा चुनाव हों या 2009, 2019, 2024 के लोकसभा चुनाव – एनडीए हमेशा एक साथ रहा है। हमारी ताकत एकजुट समाज है।”
दूसरे चरण में 11 नवंबर को मतदान होगा.
दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर ये होना ही है और इसके लिए सभी राजनीतिक दलों ने ताकत झोंक दी है. एनडीए की रणनीति, विपक्ष के सवाल और वोटरों की प्रतिक्रिया- इन सबके बीच यह चुनावी मुकाबला और दिलचस्प हो गया है.
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