इंदौर. शहर की प्रतिष्ठित देवलालीकर आर्ट गैलरी में मंगलवार 8 नवंबर को गोंड कला की एक दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में ललित कला महाविद्यालय के 35 प्रतिभावान विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई कलाकृतियाँ आकर्षण का केन्द्र रहीं। ये कृतियाँ ‘रंग रेखा’ संस्था द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यशाला के दौरान बनाई गईं।
प्रदर्शनी का उद्घाटन संस्था की संस्थापक एवं चित्रकार श्रीमती रेखा सिंह ने युवा कलाकारों एवं कला प्रेमियों की उपस्थिति में किया। इस आयोजन को शहर में कलात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने और युवा प्रतिभाओं को मंच प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
नई पीढ़ी को लोक कला से जोड़ने की पहल
इस अवसर पर रेखा सिंह ने कहा कि इस कार्यशाला एवं प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य नई पीढ़ी के कलाकारों को भारत की समृद्ध लोक कला परंपराओं, विशेषकर गोंड कला से परिचित कराना है। उन्होंने इस पहल के महत्व पर जोर दिया.
“नई पीढ़ी के कलाकारों को लोक कला से परिचित कराने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है और भविष्य में और अधिक कार्यक्रम आयोजित करने का विचार है।” – रेखा सिंह, संस्थापक, रंग रेखा
उनके मुताबिक संस्था की योजना भविष्य में भी इसी तरह की कार्यशालाएं और कार्यक्रम आयोजित करने की है, ताकि पारंपरिक कलाओं को संरक्षित और प्रोत्साहित किया जा सके.
एक अनुभवी कलाकार का मार्गदर्शन मिला
इस कार्यशाला की सफलता में अनुभवी गोंड कलाकार श्री द्वारिका परस्ते का विशेष योगदान रहा। उन्होंने छात्रों को गोंड कला की बारीकियों, उसके प्रतीकों और पारंपरिक तकनीकों से अवगत कराया। श्री परस्ते के मार्गदर्शन में छात्रों ने न केवल यह कला सीखी बल्कि अपनी रचनात्मकता का उपयोग करके अनूठी रचनाएँ भी बनाईं।
यह प्रदर्शनी न केवल युवा कलाकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुई, बल्कि इसने शहर के कला प्रेमियों को गोंड जनजाति की जीवंत और समृद्ध कलात्मक विरासत से रूबरू होने का अवसर भी प्रदान किया।



