Bihar Election 2025: पटना के वीआईपी प्रतिबंधित इलाके में मंगलवार को उस वक्त राजनीतिक हलचल मच गई जब जदयू विधायक गोपाल मंडल और पूर्व विधायक महेश्वर प्रसाद यादव अचानक सचिवालय थाना क्षेत्र में धरने पर बैठ गए. टिकट कटने की आशंका से नाराज़ दोनों नेताओं की इस ‘अप्रत्याशित बगावत’ पर पुलिस ने केस दर्ज किया है. मामला अब राजनीतिक बयानबाजी से आगे बढ़कर कानून के पन्नों में दर्ज हो गया है.
वीआईपी जोन में धरना, पुलिस ने दर्ज की एफआईआर
मजिस्ट्रेट की शिकायत पर सचिवालय पुलिस ने दोनों के खिलाफ प्रतिबंधित स्थान पर धरना देने का मामला दर्ज किया है.
सिटी एसपी (मध्य) दीक्षा ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी गई है. दोनों नेताओं के इस कदम से सुरक्षा एजेंसियों में हलचल मच गई और दोपहर बाद बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी मौके पर पहुंच गए.
“टिकट लिए बिना नहीं लौटूंगा” — गोपाल मंडल
धरने के दौरान पत्रकारों से बातचीत में गोपाल मंडल ने साफ कहा कि वे मुख्यमंत्री से मिलने आए हैं और टिकट लिए बिना नहीं लौटेंगे. पुलिस ने उन्हें शांत करने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने. आखिरकार पुलिस और सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें वहां से हटाया. इस बीच अफवाह उड़ी कि विधायक को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन वरीय पुलिस अधिकारियों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया.
पार्टी के अंदर से ही बगावत की आवाजें
जदयू में टिकट बंटवारे को लेकर नाराजगी अब खुलेआम दिखने लगी है. विधायक धरना पर बैठे तो वहीं दूसरी ओर पार्टी के सांसद ने इस्तीफा देने की पेशकश कर दी. भागलपुर के सांसद अजय मंडल ने मंगलवार सुबह सोशल मीडिया पर पोस्ट कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफे की अनुमति मांगी. उन्होंने दो पन्नों के पत्र में लिखा कि उम्मीदवारों के चयन में उनकी उपेक्षा की गई है और कई बार मिलने की कोशिश के बावजूद उन्हें मिलने नहीं दिया गया.
बाहरी लोगों को तरजीह का आरोप
अजय मंडल ने पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि टिकट वितरण में स्थानीय नेताओं को दरकिनार कर बाहरी लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है. उन्होंने मुख्यमंत्री से साफ शब्दों में कहा कि अगर स्थिति यही रही तो वे सांसद पद से इस्तीफा देने को तैयार हैं. इस घटनाक्रम से साफ है कि टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी के भीतर गहरा असंतोष पनप चुका है, जो चुनावी माहौल में बड़ा सियासी सिरदर्द बन सकता है.
चुनाव से पहले ही जदयू के अंदर की खींचतान सड़क पर आ गई है. एक ओर विधायक वीआईपी ज़ोन में धरना दे रहे हैं, दूसरी ओर सांसद इस्तीफे की पेशकश कर रहे हैं. टिकट बंटवारे की यह जंग अगर थमी नहीं, तो एनडीए की चुनावी रणनीति पर इसका असर गहराई से पड़ सकता है.
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