अगर आप भीड़-भाड़ से दूर शांत पहाड़ियों में कुछ सुकून के पल बिताने का सपना देख रहे हैं तो एमपी का बैतूल जिला सबसे बेस्ट है। यहां एक ऐसा छोटा सा स्वर्ग छिपा है, जिसे लोग प्यार से भारत का स्विटजरलैंड कहते हैं। जिसका नाम कुकरू हिल स्टेशन है. यहां आपको कोई शोर सुनाई नहीं देगा. यहां कोई ट्रैफिक जाम नहीं है, बस चारों ओर फैली हरियाली, पहाड़ों की ठंडी हवा और बादलों के पीछे चमकती धूप आपका मन जीत लेगी। ऐसे में अगर आप अपने पार्टनर, दोस्त या परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताना चाहते हैं तो यह जगह आपके लिए बेस्ट रहने वाली है।
इसके लिए आपको ज्यादा पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं है. यहां आप बेहद कम खर्च में अपने वीकेंड का मजा ले सकते हैं। तो देर किस बात की, तुरंत इस जगह के बारे में विस्तार से जानें और यहां अपनी अगली यात्रा की योजना बनाएं।
कुकरू
सतपुड़ा की ऊंचाइयों पर बसा कुकरू हर मौसम में एक अलग ही रूप दिखाता है। गर्मियों में जब मैदानी इलाकों में तापमान 40 के पार हो जाता है तो यहां सुबह की ठंडी हवा और धुंध की चादर चेहरे को तरोताजा कर देती है। बरसात के मौसम में पहाड़ों से गिरते झरने इसे स्वर्ग बनाते हैं, जबकि सर्दियों में सूरज की नरम किरणें बादलों के बीच से झांकती हैं। यह दृश्य मनमोहक है.
यहां की खास बात है शांति. यहां जाकर ऐसा लगता है मानो समय यहीं रुक गया हो। सड़कें जंगलों से होकर गुजरती हैं, जहाँ कभी-कभी हिरण या मोर देखे जा सकते हैं। जब पहाड़ों की ढलान पर खड़े होकर दूर तक फैली ताप्ती घाटी को देखते हैं तो मन अपने आप रुक जाता है। कुकरू की पहचान उसकी मिट्टी की खुशबू से भी होती है। आपको बता दें कि यह मध्य प्रदेश का एकमात्र क्षेत्र है जहां कॉफी की खेती की जाती है।
इतिहास
यहां की कॉफी की कहानी 80 साल से भी ज्यादा पुरानी है। कहा जाता है कि साल 1944 में एक ब्रिटिश महिला फ्लोरेंस हेंड्रिक्स यहां की जलवायु से इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने लगभग 160 एकड़ में कॉफी का बागान लगाने का फैसला किया। धीरे-धीरे यह कॉफी गार्डन कुकरू की पहचान बन गया। आज भी जब सुबह की हवा में कॉफी के फूलों की हल्की महक आती है तो बीते जमाने की याद आ जाती है। ब्रिटिश शासन के दौरान, कुकरू ब्रिटिश अधिकारियों के लिए एक पसंदीदा ग्रीष्मकालीन गंतव्य हुआ करता था। 1906 में यहां एक खूबसूरत इंस्पेक्शन बंगला बनाया गया, जो आज भी ब्रिटिश वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। पुराने लकड़ी के बरामदे और ऊंची खिड़की वाले कमरे आज भी बीते युग की कहानियां सुनाते हैं।
एडवेंचर प्रेमियों के लिए कुकरू किसी खजाने से कम नहीं है। अगर आपको ट्रैकिंग पसंद है तो घने जंगलों और छोटे-छोटे झरनों से भरे रास्ते हर कदम पर नया मजा दे सकते हैं। यहां आप प्रकृति की सैर, पक्षियों को देखना और ऑफ-रोड ट्रेल्स का आनंद ले सकते हैं। कई पर्यटकों का कहना है कि यहां सूर्योदय और सूर्यास्त देखने का आनंद शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। जब सूरज की पहली किरणें पहाड़ की चोटियों पर पड़ती हैं तो पूरी घाटी सुनहरी रोशनी से नहा उठती है। वहीं शाम के समय जब आसमान गुलाबी हो जाता है तो ऐसा लगता है मानों प्रकृति स्वयं कोई चित्र बना रही हो।
कुकरू कैसे पहुँचें?
कुकरू पहुंचना कोई कठिन यात्रा नहीं है. यह हिल स्टेशन बैतूल जिले से लगभग 90 से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बैतूल रेलवे स्टेशन निकटतम है, जहां से टैक्सी या बस लेकर लगभग तीन घंटे में कुकरू पहुंचा जा सकता है। अगर आप फ्लाइट से आना चाहते हैं तो भोपाल या नागपुर एयरपोर्ट से बैतूल तक ट्रेन लें या सड़क मार्ग से भी यात्रा कर सकते हैं।



