नीमच: जिले के मोरवन में प्रस्तावित 350 करोड़ रुपये की रेयॉन टेक्सटाइल फैक्ट्री सुविधा के खिलाफ चल रहा विरोध गुरुवार को हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने फैक्ट्री परिसर में घुसकर तोड़फोड़ की और कर्मचारियों की पिटाई की. इस घटना में कंपनी को करीब 40 से 50 लाख रुपये का नुकसान होने का अनुमान है. कंपनी के मालिक राजेश जैन ने इस घटना को चौंकाने वाला बताया है और कहा है कि यह पूरा आंदोलन गलत सूचनाओं और अफवाहों पर आधारित है. इस मामले को लेकर फैक्ट्री मालिक जैन ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज संवाददाता कमलेश सारडा से खास बातचीत की.
बातचीत के दौरान जैन ने क्या कहा?
जैन ने कहा कि गुरुवार को हुई हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने फैक्ट्री में काम कर रहे इंजीनियरों और मजदूरों को निशाना बनाया. गाड़ियों के शीशे टूट गए और कई मशीनें भी क्षतिग्रस्त हो गईं. जैन ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से कर्मचारियों को काम बंद करने की धमकियां मिल रही थीं, लेकिन आज की घटना ने सारी हदें पार कर दीं.
‘गंदे पानी की एक बूंद भी बाहर नहीं जाएगी’
फैक्ट्री मालिक ने कहा, ग्रामीणों और किसानों की सबसे बड़ी चिंता फैक्ट्री से निकलने वाले रासायनिक पानी से मोरवन बांध के दूषित होने को लेकर है, उनका मानना है कि इससे सिंचाई और पीने के पानी पर गंभीर असर पड़ेगा, लेकिन ऐसा नहीं है. राजेश जैन ने बताया कि फैक्ट्री में अत्याधुनिक जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.
यह बिल्कुल गलत है। हमारी फैक्ट्री में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) तकनीक स्थापित की गई है। यह 95% पानी का पुन: उपयोग करता है और अपशिष्ट जल की एक बूंद भी बाहर नहीं जाएगी। बचे हुए मोटे कचरे को सीमेंट फैक्ट्री भेजा जाएगा। – राजेश जैन, मालिक, सुविधा रेयॉन्स
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तकनीक से न तो बांध का पानी दूषित होगा, न पीने का पानी प्रभावित होगा और न ही किसानों की फसलों को कोई नुकसान होगा. जैन ने यह भी आश्वासन दिया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सभी आवश्यक अनुमतियाँ मिलने के बाद ही कारखाने का संचालन शुरू किया जाएगा। बोर्ड की संतुष्टि के बिना ‘संचालन की सहमति’ जारी नहीं की जाएगी।
‘विरोध के पीछे राजनीतिक हित’
राजेश जैन ने इस पूरे विरोध को कुछ लोगों द्वारा अपने स्वार्थ के लिए ग्रामीणों को गुमराह करने की साजिश बताया. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि कुछ लोग ग्रामीणों को गुमराह कर रहे हैं. झूठी अफवाह फैलाकर शांतिप्रिय ग्रामीणों को भड़काया जा रहा है.”
कंपनी के मुताबिक पानी की खपत को लेकर भी गलत जानकारी फैलाई जा रही है. कारखाने को साल भर में बांध से कुल पानी का केवल 0.25% पानी की आवश्यकता होगी, वह भी पीने के पानी और सिंचाई की जरूरतों को पूरा करने के बाद। जैन ने कहा, ”बांध पर पहला हक जनता का है.”
अगले 20 साल में कोई उद्योगपति नहीं आएगा
उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर यह उद्योग यहां से चला गया तो अगले 10-20 साल तक कोई दूसरा उद्योगपति इस क्षेत्र में आने की हिम्मत नहीं करेगा. उन्होंने बताया कि कंपनी पहले ही ग्राम सभा और सेमिनार के माध्यम से ग्रामीणों को तकनीकी जानकारी दे चुकी है, लेकिन कुछ लोगों ने उन बैठकों में भी खलल डालने की कोशिश की थी.
आगे क्या?
हिंसक घटना के बाद कंपनी ने काम जारी रखने का फैसला किया है. राजेश जैन ने कहा, “हम रुकने वाले नहीं हैं. गांव में ज्यादातर लोग रोजगार चाहते हैं.” उन्होंने बताया कि भीलवाड़ा और अन्य शहरों में काम करने वाले कई युवा वापस आकर यहां काम करना चाहते हैं. सुरक्षित माहौल में काम सुनिश्चित करने के लिए कंपनी अब प्रशासन से अतिरिक्त सुरक्षा की मांग करेगी. एक तरफ कंपनी विकास और रोजगार का दावा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण को लेकर ग्रामीणों की आशंकाएं जस की तस बनी हुई हैं. ऐसे में यह देखना अहम होगा कि विकास और विरोध का यह टकराव भविष्य में क्या मोड़ लेता है.
संवाददाता कमलेश सारडा और फैक्ट्री मालिक राजेश जैन के बीच बातचीत का पूरा वीडियो देखें.



