बेहतर इलाज के दावे फेल, एनसीडी मरीजों पर दवा संकट – बाहर से खरीदनी पड़ रही दवा, मरीजों की संख्या में गिरावट
धनबाद.
ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिले भर में संचालित 120 आयुष्मान आरोग्य मंदिर इस समय गंभीर दवा संकट से जूझ रहे हैं। पिछले तीन महीने से इन केंद्रों पर गैर-संचारी रोग (एनसीडी) यानी मधुमेह और उच्च रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) जैसी बीमारियों की दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। इन केंद्रों को प्राथमिक स्तर पर एनसीडी मरीजों की पहचान, जांच और नियमित दवा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन हकीकत यह है कि मरीजों को परामर्श तो मिल रहा है, लेकिन दवा के लिए उन्हें निजी मेडिकल स्टोर पर जाना पड़ रहा है.
दवाइयों पर खर्च बढ़ा, मजबूरी में लोग बीच में छोड़ रहे दवा
इन केंद्रों पर हर सप्ताह ग्रामीण क्षेत्रों से हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं, लेकिन दवा उपलब्ध नहीं होने के कारण उन्हें बाहर से दवा खरीदनी पड़ती है. इससे उन पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है. बलियापुर प्रखंड के पंडरापाल निवासी 60 वर्षीय जगदीश रजक कहते हैं कि वे पिछले दो वर्षों से आरोग्य मंदिर से मधुमेह की दवा ले रहे थे, लेकिन तीन माह से दवा नहीं मिल रही है. डॉक्टर दवा जारी रखने की सलाह देते हैं, लेकिन दवा बाहर से खरीदनी पड़ती है। इस पर करीब 800 रुपये का खर्च आता है. इसी तरह टुंडी प्रखंड की सरिता देवी कहती हैं कि ब्लड प्रेशर की दवा नहीं मिलने के कारण कई बार इलाज बीच में ही रुक गया. बाहर से दवा खरीदना संभव नहीं है. कई लोग मजबूरी में इलाज छोड़ देते हैं।
30 तरह की एनसीडी दवाओं में एक भी उपलब्ध नहीं
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, प्रत्येक आयुष्मान आरोग्य मंदिर में एनसीडी कार्यक्रम के तहत 30 प्रकार की आवश्यक दवाएं होनी चाहिए। इनमें ब्लड शुगर और बीपी को नियंत्रित करने वाली प्रमुख दवाएं शामिल हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक सीएचओ ने बताया कि एनसीडी दवाओं की आपूर्ति पूरी तरह से बंद हो गयी है. टेंडर प्रक्रिया जिला स्तर पर लंबित है. इस कारण सप्लाई नहीं हो पा रही है। फिलहाल आने वाले सभी मरीजों को जीवनशैली में सुधार के लिए सिर्फ परामर्श और सुझाव दिए जा रहे हैं।
टेंडर प्रक्रिया में देरी बनी बाधा: स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार एनसीडी कार्यक्रम की दवाओं की खरीद जिला स्तर पर सिविल सर्जन कार्यालय के माध्यम से की जाती है. लेकिन तीन माह से टेंडर प्रक्रिया लंबित है. कुछ दिन पहले दवाओं की आपूर्ति के लिए टेंडर निकाला गया था. लेकिन तकनीकी कारणों से वह भी बंद कर दिया गया है.
मरीजों की संख्या में गिरावट
दवाओं की कमी का असर मरीजों की संख्या पर भी पड़ा है. आंकड़ों के मुताबिक, पहले हर हफ्ते औसतन 100 से ज्यादा एनसीडी मरीज आयुष्मान आरोग्य मंदिर में परामर्श के लिए पहुंचते थे। अब यह संख्या 40 से भी कम रह गयी है. स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि केंद्रों पर हमेशा नियमित दवा लेने वाले मरीज ही आते थे. लेकिन अब कई लोगों ने प्राइवेट क्लीनिक या प्राइवेट डॉक्टरों का रुख कर लिया है.
ये एनसीडी दवाएं खत्म हो गई हैं
एम्लोडिपाइन 5 मिलीग्राम, एम्लोडिपाइन 10 मिलीग्राम, टेल्मिसर्टन 40 मिलीग्राम, टेल्मिसर्टन 20 मिलीग्राम, क्लोरथालिडोन 12.5 मिलीग्राम, मेटफॉर्मिन 500 मिलीग्राम, मेटफॉर्मिन 1000 मिलीग्राम, ग्लिमेपाइराइड 1 मिलीग्राम, ग्लिमेपिराइड 2 मिलीग्राम, एस्पिरिन 75 मिलीग्राम, टैब। मेटोप्रोलोल 25 मिलीग्राम, मेटोप्रोलोल 50 मिलीग्राम, एटोरवास्टेटिन 10 मिलीग्राम, फोलिक एसिड, इंसुलिन इंजेक्शन, बिसाकोडाइल एंटेरिक आईपी 5 मिलीग्राम, ईयर ड्रॉप फॉरवैक्स 10 मिली, पैरा डाइक्लोरो बेंजीन 2%, एटुलिन थियोलिन (150 मिलीग्राम एसआर), एटुलिन थियोलिन (300 मिलीग्राम एसआर), फैमोटिडाइन आईपी 20 मिलीग्राम, फ्रैमाइसेटिन सल्फेट (क्रीम) 30 ग्राम, जेंटामाइसिन आईपी 5 मिली, ग्रिसोफुलविन आईपी 250 मिलीग्राम, लेवोथायरोक्सिन आईपी 25 माइक्रोग्राम, मिथाइलकोबालामिन 1500 माइक्रोग्राम, नियोमाइसिन बैकीट्रैसिन ऑइंटमेंट 15 मिलीग्राम, सालबुटामोल सल्फेट आईपी 2 मिलीग्राम, सालबुटामोल सल्फेट आईपी इनहेलेशन 200, विटामिन डी3 (पाउच) 1 ग्राम, कैलामाइन आईपी (लोशन) 100 मि.ली.
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