नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अहमदाबाद में एयर इंडिया विमान दुर्घटना में मारे गए पायलट के 91 वर्षीय पिता से कहा कि उनके बेटे को दुर्घटना के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है और उन्हें इसका बोझ नहीं उठाना चाहिए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने उनकी याचिका पर केंद्र और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) को नोटिस जारी किया।
पीठ ने कहा, ”आपको खुद पर बोझ नहीं डालना चाहिए। विमान दुर्घटना के लिए पायलट को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। यह एक दुर्घटना थी। यहां तक कि प्रारंभिक रिपोर्ट में भी उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया गया है।” पायलट के पिता पुष्करराज सभरवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल के संबंध में अमेरिकी प्रकाशन वॉल स्ट्रीट जर्नल में एक समाचार लेख प्रकाशित हुआ था। पीठ ने जवाब दिया, “यह सिर्फ भारत को दोष देने के लिए खराब रिपोर्टिंग थी।”
पीठ ने 12 जुलाई को जारी विमान दुर्घटना जांच बोर्ड (एएआईबी) की प्रारंभिक रिपोर्ट का एक पैराग्राफ पढ़ा और कहा कि इसमें कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि दुर्घटना के लिए पायलट को दोषी ठहराया जाना चाहिए और इसमें केवल विमान के दो पायलटों के बीच हुई बातचीत का उल्लेख है। इसमें कहा गया है, “एएआईबी जांच का दायरा दोषारोपण करना नहीं है, बल्कि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचने के लिए निवारक उपाय सुझाना है।” यदि आवश्यक हुआ, तो हम यह स्पष्ट कर देंगे कि पायलट को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।” अदालत ने मामले को घटना से संबंधित अन्य लंबित याचिकाओं के साथ 10 नवंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
गौरतलब है कि 12 जून को हुई विमान दुर्घटना में 260 लोगों की जान चली गई थी। पिछले महीने, पुष्पराज सभरवाल और इंडियन पायलट एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें एयर इंडिया विमान दुर्घटना की शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई थी। पुष्पराज सभरवाल ने इस दुखद घटना की ‘निष्पक्ष, पारदर्शी और तकनीकी रूप से मजबूत’ जांच का अनुरोध किया है।
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