वंदे मातरम: प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के साल भर चलने वाले स्मरणोत्सव की शुरुआत की. इस मौके पर उन्होंने एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया. अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् मां भारती की आराधना से हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है.
#घड़ी दिल्ली | राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा, “ऐसा कोई संकल्प नहीं, जिसकी सिद्धि न हो सके। ऐसा कोई लक्ष्य नहीं, जो हम भारतवासी पा न सकें…”
“वंदे मातरम एक मंत्र है, एक सपना है, एक संकल्प है और एक ऊर्जा है। यह… pic.twitter.com/ALZERUlp5B
– एएनआई (@ANI) 7 नवंबर 2025
राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा, “ऐसा कोई संकल्प नहीं है जो सफल नहीं हो सकता. ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है जिसे हम भारत के लोग हासिल नहीं कर सकते.” उन्होंने बताया कि ‘वंदे मातरम’ सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक मंत्र, स्वप्न, संकल्प और ऊर्जा है. ये माता भारती के लिए प्रार्थना है. यह हमें इतिहास की याद दिलाता है और भविष्य के लिए साहस देता है। पीएम मोदी ने कहा कि हम अपने संकल्पों में सफल हो सकते हैं और हमारे लिए कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है.
#घड़ी दिल्ली | राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा, “…आज, 7 नवंबर, एक ऐतिहासिक दिन है। हम वंदे मातरम की रचना के 150 साल पूरे होने का भव्य जश्न मना रहे हैं… यह आयोजन करोड़ों लोगों में नई ऊर्जा पैदा करेगा… pic.twitter.com/Yf4U4drrvh
– एएनआई (@ANI) 7 नवंबर 2025
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आज 7 नवंबर एक ऐतिहासिक दिन है। हम ‘वंदे मातरम’ की रचना के 150 साल पूरे होने का भव्य जश्न मना रहे हैं। यह कार्यक्रम करोड़ों भारतीयों में नई ऊर्जा पैदा करेगा। इस अवसर पर मैं प्रत्येक नागरिक को ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ की शुभकामनाएं देता हूं।”
एक वर्ष के राष्ट्रीय स्मरणोत्सव की औपचारिक शुरुआत
यह कार्यक्रम एक साल के राष्ट्रीय स्मरणोत्सव की औपचारिक शुरुआत है जो 7 नवंबर, 2025 से 7 नवंबर, 2026 तक चलेगा। इस अवसर पर बंकिम चंद्र चटर्जी की क्लासिक रचना ‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने का जश्न मनाया जाएगा। यह रचना भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन को प्रेरित करने तथा राष्ट्रीय गौरव एवं एकता को बनाये रखने में महत्वपूर्ण थी। बंकिम चंद्र चटर्जी ने इसे 7 नवंबर, 1875 को अक्षय नवमी के दिन लिखा था। ‘वंदे मातरम्’ पहली बार उनकी साहित्यिक पत्रिका ‘बंगदर्शन’ में उनके उपन्यास ‘आनंदमठ’ के एक भाग के रूप में प्रकाशित हुआ था।
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