लखनऊ, लोकजनता: दिवाली के बाद से ठंड बढ़ने के साथ ही शहर में प्रदूषण भी बढ़ गया है, जिससे बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है. राजधानी के सरकारी अस्पतालों के बाल रोग विभाग में बच्चों में संक्रमण की संख्या तेजी से बढ़ी है। रोजाना इलाज के लिए आने वाले करीब 80 फीसदी बच्चे वायरल बुखार, सर्दी, खांसी आदि समस्याओं से पीड़ित होते हैं।
डॉक्टर परिजनों को बच्चों की सेहत का खास ख्याल रखने की सलाह दे रहे हैं और इस मौसम में उन्हें ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. वीरांगना अवंतीबाई महिला अस्पताल (डफरिन) के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान ने कहा कि इस मौसम में ठंड और प्रदूषण बच्चों के लिए विशेष रूप से खतरनाक हो सकता है। एक छोटी सी लापरवाही उनकी सेहत पर भारी पड़ सकती है। बच्चों में बुखार, उल्टी, सांस लेने में दिक्कत, सीने में संक्रमण, सर्दी-खांसी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।
डॉ. सलमान के मुताबिक, बुखार होने पर केवल पैरासिटामोल ही देनी चाहिए और बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक लेने से बचना चाहिए। खांसी के दौरान बच्चों को कफ सिरप देने से भी बचें। बच्चों को राहत देने के लिए नेब्युलाइज़ और भाप का उपयोग किया जा सकता है।
बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी ने बताया कि इन दिनों मौसम तेजी से बदल रहा है और इस बदलाव के कारण बच्चों में बीमारियाँ बढ़ रही हैं। थोड़ी सी लापरवाही बच्चों को बीमार बना सकती है, इसलिए माता-पिता को विशेष रूप से सतर्क रहने की जरूरत है।
दूध पिलाने के बाद तीन बार डकार अवश्य दिलाएं।
महानगर स्थित भाऊराव देवरस संयुक्त चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष शुक्ला ने बताया कि छोटे बच्चों को खाना खिलाने के बाद तीन बार डकार दिलाना बहुत जरूरी है, ताकि बच्चे सर्दी-खांसी की चपेट में न आएं। अगर बच्चे को खांसी, जुकाम या बुखार हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अपनी मर्जी से दवा देना बच्चे की सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।
बच्चों के लिए इन बातों का रखें ध्यान:
सुबह-शाम बच्चों को नंगे पैर बाहर न घूमने दें।
बच्चों को वायु और प्रदूषण से बचाएं.
बच्चों को गर्म कपड़े पहनाएं।
सर्दी-जुकाम होने पर तुरंत डॉक्टर से इलाज कराएं।
यदि खांसी-जुकाम तीन दिन से अधिक रहे तो जांच कराएं।
बच्चों को ठंडा खाना न खाने दें।
अगर बच्चे को अस्थमा है तो उसके साथ नेबुलाइजर रखें।



