अनिल अंबानी: हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप की 7,500 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है, जिसमें मुंबई में उनका आलीशान घर और कई व्यावसायिक संपत्तियां शामिल हैं। यह कदम मनी लॉन्ड्रिंग जांच से जुड़ा है, जिससे बाजार में हलचल मच गई है. लेकिन इस बीच रिलायंस ग्रुप ने साफ किया है कि इस कार्रवाई से उनके कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, कंपनियां अपनी पूरी क्षमता से काम कर रही हैं और ग्रोथ पर फोकस कर रही हैं.
क्या है पूरा मामला?
अनिल अंबानी के रिलायंस समूह ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा 7,500 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करने से उसके समूह की कंपनियों के कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ा है। समूह ने कहा कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और रिलायंस पावर लिमिटेड पहले की तरह सामान्य रूप से काम कर रहे हैं और अपने शेयरधारकों और निवेशकों के हितों के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
ईडी की कार्रवाइयां किससे संबंधित हैं?
ईडी ने 31 अक्टूबर को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत 42 संपत्तियां जब्त की हैं। इनमें अनिल अंबानी का मुंबई के पाली हिल स्थित घर भी शामिल है। यह कार्रवाई रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसकी सहयोगी कंपनियों से संबंधित है, जिन पर 2017 से 2019 के बीच यस बैंक से लिए गए कर्ज का दुरुपयोग करने का आरोप है।
अब रिलायंस कम्युनिकेशंस को कौन संभाल रहा है?
रिलायंस ग्रुप के मुताबिक, रिलायंस कम्युनिकेशंस अब अनिल अंबानी के नियंत्रण में नहीं है। कंपनी पिछले छह वर्षों से दिवाला प्रक्रिया (सीआईआरपी) में है और इसका प्रबंधन भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले रिज़ॉल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) और लेनदारों की समिति (सीओसी) द्वारा किया जाता है।
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अब क्या है अनिल अंबानी की भूमिका?
समूह ने कहा कि अनिल अंबानी ने 2019 में रिलायंस कम्युनिकेशंस से इस्तीफा दे दिया था और पिछले तीन वर्षों से वह रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर या रिलायंस पावर के बोर्ड में नहीं हैं। इसलिए, रिपोर्टों में बार-बार उनका नाम आने को “अनुचित और गलत तरीके से गुमराह करने वाला” बताया गया है।
कंपनियों की स्थिति कितनी मजबूत?
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर दोनों शून्य बैंक ऋण वाली कंपनियां हैं। मार्च 2025 तक, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के पास 65,840 करोड़ रुपये की संपत्ति और 14,287 करोड़ रुपये की शुद्ध संपत्ति है, जबकि रिलायंस पावर के पास 41,282 करोड़ रुपये की संपत्ति और 16,337 करोड़ रुपये की शुद्ध संपत्ति है। दोनों कंपनियों ने 29 अक्टूबर को सेबी के पास शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने बाजार में हेरफेर और अवैध “बेयर कार्टेल” के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
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