लखनऊ, लोकजनता: बारिश के बाद ठंड के मौसम में मच्छरों का प्रकोप बढ़ने से मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी वेक्टर जनित बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। घरों, नालियों, पार्कों और सार्वजनिक स्थानों पर मच्छरों की बढ़ती संख्या ने नागरिकों को परेशान कर दिया है। लेकिन, इन बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग का अभियान सिर्फ कागजों तक ही सीमित है और नगर निगम की ओर से फॉगिंग और एंटी लार्वा छिड़काव का काम पूरी तरह से ठप है. शहर में कहीं भी फॉगिंग करने वाली गाड़ियां नजर नहीं आ रही हैं और ऐसा लग रहा है कि नगर निगम के अधिकारी बीमारी फैलने का इंतजार कर रहे हैं.
डेंगू वायरस के लार्वा गंदे पानी के साथ-साथ साफ पानी में भी पनपते हैं और फिलहाल इसका कोई इलाज नहीं है। इससे बचने के लिए नागरिकों को कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है।
घर के आसपास साफ पानी जमा न होने दें
डेंगू एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है, जिसका लार्वा साफ और रुके हुए पानी में पनपता है। इसके काटने से तेज बुखार, ज्यादा पसीना आना, थकान, सुस्ती, पेशाब न आना, मुंह और होठों का सूखना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत किसी कुशल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और खुद से दवा नहीं लेनी चाहिए।
ये सावधानियां बरतकर आप खुद को सुरक्षित रख सकते हैं
सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
घर में नीम का धुआं करें।
मच्छर रोधी स्प्रे का छिड़काव करें।
घर और आसपास साफ-सफाई बनाए रखें।
पूरी बांह के कपड़े पहनें.
घर में टायर, गमले की ट्रे आदि में पानी जमा न होने दें।
रेफ्रिजरेटर के पीछे लगी पानी की ट्रे, कूलर आदि का पानी समय-समय पर बदलते रहें।
फॉगिंग और एंटी लार्वा छिड़काव पर करोड़ों रुपये खर्च हुए।
वेक्टर जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम हर साल फॉगिंग और एंटी लार्वा छिड़काव अभियान चलाते हैं और इस पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। हालांकि, इसका असर जमीन पर नहीं दिख रहा है. बजट के नाम पर अक्सर बंदरबांट होती रहती है और जमीनी स्तर पर फॉगिंग और एंटी लार्वा छिड़काव की प्रक्रिया पूरी तरह से निष्क्रिय है.



