बरियातू प्रखंड के टोंटी गांव में बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा पर राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के बैनर तले एक दिवसीय सरना प्रार्थना सभा सह धार्मिक सम्मेलन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता संजय उरांव ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के राष्ट्रीय प्रचारक बीरी भगत उपस्थित थे. कार्यक्रम की शुरुआत सरना ध्वज फहराने और विधिवत पूजा-अर्चना के साथ हुई. मुख्य अतिथि बीरी भगत ने कहा कि सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा के नेतृत्व में पिछले 35 से 40 वर्षों से न केवल भारत बल्कि नेपाल, भूटान और बांग्लादेश जैसे देशों में भी सरना धर्म प्रचार अभियान चलाया जा रहा है. इसी परंपरा को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से टोंटी में यह सम्मेलन आयोजित किया गया है. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को अपने रीति-रिवाज, परंपरा और सांस्कृतिक पहचान को कायम रखना चाहिए. पूरे देश में सरना धर्म कोड की मांग उठ रही है ताकि सरना धर्म को भारत में एक अलग पहचान मिल सके. राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा और झारखंड प्रदेश राष्ट्रीय आदिवासी समन्वय समिति समेत कई संगठन इसके लिए प्रयास कर रहे हैं. बीरी भगत ने कहा कि आज हमारे समाज में कई कुरीतियां फैल रही हैं. कुछ समुदाय आदिवासियत को कमजोर करने में लगे हुए हैं। कुछ समुदाय आदिवासी दर्जे की मांग कर रहे हैं. इसके लिए हमें एकजुट होना होगा. ऐसा निश्चित तौर पर नहीं होगा. हमारी पारंपरिक पहचान और सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुटता आवश्यक है। कार्यक्रम को सफल बनाने में स्थानीय सरना धर्मावलंबियों ने सक्रिय भूमिका निभायी.
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The post आदिवासी समाज को अपने रीति-रिवाज, परंपरा और सांस्कृतिक पहचान बरकरार रखनी चाहिए: बीरी भगत पहली बार लोकजनता पर दिखाई दिये.



