रामगढ़: धार्मिक धरती रामगढ़ आज आस्था और अध्यात्म की रोशनी से जगमगा उठी. शिवाजी रोड स्थित श्री बांके बिहारी राधा रानी किला मंदिर में चल रहे 62वें शतचंडी एवं श्रीरामचरितमानस नवाहपरायण महायज्ञ का मंगलवार को पूर्णाहुति एवं अटूट भंडारा के साथ भव्य समापन हो गया।
इस मौके पर श्रद्धा, भक्ति और सौहार्द का अद्भुत संगम देखने को मिला. 27 अक्टूबर को वेद मंत्रों और मंगल ध्वनि के साथ शुरू हुआ यह महायज्ञ पूरे शहर में धार्मिक उत्सव का प्रतीक बना रहा. आप यह खबर झारखंड लेटेस्ट न्यूज पर पढ़ रहे हैं। कार्यक्रम के आयोजन की जिम्मेदारी किला मंदिर प्रबंधन समिति ने संभाली, जिसमें अध्यक्ष अनुप कुमार उर्फ बाबू साहेब, महासचिव प्रो. संजय प्रसाद सिंह और कोषाध्यक्ष किशोर जाजू ने अहम भूमिका निभायी.
महायज्ञ के समापन के बाद इन तीनों ने मिलकर औट भंडारा शुरू किया. भंडारा शुरू होते ही भक्तों की लंबी कतारें लग गईं और मंदिर परिसर जय श्री राम के जयकारों से गूंज उठा। महायज्ञ के आचार्य पंडित गोविंद बल्लभ शर्मा शास्त्री ने वैदिक रीति रिवाज से यज्ञ संपन्न कराया।
यजमान आशीष अग्रवाल और उनकी पत्नी थे, जबकि ब्रह्मा के रूप में पूज्य पंडित मुरारी मोहन शर्मा थे। आचार्य गोविंद बल्लभ शर्मा ने कहा कि महायज्ञ सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि समाज में नैतिकता, सद्भावना और आध्यात्मिकता की अलख जगाने का माध्यम भी है।
भव्य साज-सज्जा, फूलों की खुशबू और दीपों की रोशनी से नहाए किला मंदिर परिसर में श्रद्धालु ऐसे भक्ति में डूबे नजर आए मानो पूरा रामगढ़ शहर ही भक्ति में सराबोर हो गया हो. बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भंडारा प्रसाद ग्रहण किया।



