बरेली, लोकजनता। उत्तर प्रदेश में नटवरलालों के ऐसे-ऐसे अजीबोगरीब कारनामे सामने आ रहे हैं कि जिन्हें देखकर अधिकारी भी भ्रमित हो जाएंगे। संभल में बीमा क्लेम के नाम पर सिलसिलेवार हत्याओं के खुलासे के बाद अब बरेली में विधवा पेंशन फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। आरोपियों ने एक कंपनी बनाई और फिर खुद को मृत दिखाकर अपनी पत्नियों के नाम पर विधवा पेंशन लेना शुरू कर दिया। बरेली एसपी सिटी ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. इस मामले में अब तक 1.23 करोड़ रुपये का गबन सामने आया है. पुलिस की जांच जारी है. संभव है कि यह नेटवर्क रुहेलखंड क्षेत्र के अन्य जिलों में भी विधवाओं के नाम पर मौज कर रहा हो।
इस मामले में नारी शक्ति-नारी सेवा सम्मान समिति की अध्यक्ष बरेली शहर की आकांक्षा एन्क्लेव कॉलोनी की यास्मीन जहां की शिकायत पर आंवला पुलिस ने केस दर्ज किया है. हरीश व अन्य को आरोपी बनाया गया. मामले की व्यवस्थित ढंग से जांच शुरू हुई तो फर्जीवाड़े की परतें प्याज की तरह उधड़ने लगीं।
एसपी साउथ अंशिका वर्मा के मुताबिक जांच में पता चला कि फतेहगंज पश्चिमी के अगरास गांव के धर्मेंद्र लाल ने समृद्धि जीवन निधि लिमिटेड के नाम से कंपनी बनाई। इस कंपनी में कई पार्टनर बने. आरोपियों ने सरकारी योजनाओं की राशि हड़पने की योजना बनायी थी. इलाके के सीधे-सादे लोगों की पहचान की. उसका फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार कराया और उसके आधार पर विधवा पेंशन के लिए आवेदन कर दिया। एक जनसेवा केंद्र संचालक भी पकड़ा गया है, जो फर्जी दस्तावेज तैयार करने में मदद करता था। आरोपी जीवित लोगों को मृत साबित कर उनके नाम पर विधवा पेंशन लेने गए थे। लेकिन आवेदकों की जगह उन्होंने अपने परिचितों के अकाउंट नंबर का इस्तेमाल किया। जैसे ही पेंशन की रकम खाते में आती थी, वह उसे अपने खाते में ट्रांसफर कर लेता था।
एक आरोपी धर्मेंद्र ने अपने साथियों के साथ मिलकर सात बैंक खातों से करीब 1.23 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की. यह फर्जीवाड़ा पिछले पांच साल यानी 2021 से चल रहा था और विकास भवन से लेकर क्षेत्र के सभी अधिकारी लापरवाह थे। शिकायत की जांच के बाद आंवला पुलिस ने चार आरोपियों हरीश कुमार, प्रमोद, शांतिस्वरूप और मुनीष को गिरफ्तार कर लिया।
एसपी साउथ अंशिका वर्मा ने बताया कि प्रमोद समृद्धि सक्षम जीवन निधि लिमिटेड में संयुक्त निदेशक थे, जबकि धर्मेंद्र निदेशक थे। शांतिस्वरूप आंवला के बिलौरी गांव में जनसेवा केंद्र चलाते हैं। आरोपियों के कब्जे से कुछ फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र भी बरामद हुए हैं. पुलिस इस मामले की जांच में जुटी है और संभव है कि और भी आरोपी पकड़े जा सकते हैं. कुल मिलाकर बरेली में एक बार फिर सरकारी योजनाओं में संगठित सेंधमारी के मामले ने अधिकारियों की बेचैनी बढ़ा दी है. इसके साथ ही सरकार और प्रशासन के सामने पारदर्शिता और पात्र लोगों तक लाभ पहुंचाने की ऐसी चुनौतियों से पार पाने का सवाल भी खड़ा हो गया है.



