आयोजकों के मुताबिक, इस त्योहार को हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग एक साथ मनाते हैं। उत्सव के दौरान एक जुलूस निकाला जाता है। इसके बाद मुस्लिम पक्ष के लोग हिंदू देवी योगमाया के मंदिर में फूलों के पंखे चढ़ाते हैं, जबकि हिंदू पक्ष के लोग ख्वाजा बख्तियार काकी की दरगाह पर चादर चढ़ाते हैं। इस तीन दिवसीय उत्सव में शहनाई, नर्तकों के नेतृत्व में जुलूस, सांस्कृतिक कार्यक्रम, कव्वाली और पारंपरिक मेले का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के लोग भाग लेते हैं।



