अयोध्या, लोकजनता: राम मंदिर की नींव के प्रति करोड़ों भारतीयों की आस्था है. इसलिए 25 तारीख को भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री रामलला मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण करने वाले हैं. आज अयोध्या का मूल स्वरूप उजागर हो रहा है। मुरारीबापू ने ये बातें मंगलवार को कहीं. वे श्री राम के वनवास पथ पर निकली मानस राम यात्रा के अंतिम दिन कारसेवक पुरम में आयोजित राम कथा में श्रद्धालुओं को प्रवचन दे रहे थे. बताया कि भगवान राम की यात्रा अयोध्या से चलकर चित्रकूट तक गयी थी. प्रमुख स्थानों पर माथा टेकने और कथा कहने के बाद वह श्रीलंका पहुंचीं। कहा जाता है कि लंका में भयानक साम्राज्य को समाप्त कर विभीषण राज्य की स्थापना करने वाली यह कथा आकाश तक फैल गई और वापस श्री अवध धाम तक पहुंच गई। मुरारी बापू ने हनुमानगढ़ी, राम मंदिर और कनक भवन मंदिर में दर्शन-पूजन भी किया.
कार्यक्रम में भाग लेने आये लोकेश मुनि जैन ने कहा कि भगवान श्रीराम भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं. जहां भगवान राम ने वन गमन किया था। उन सभी मार्गों से होते हुए वे रामेश्वरम से श्रीलंका और श्रीलंका से अयोध्या तक मानस राम यात्रा में भाग लेकर अयोध्या पहुंचे। जहां उन्होंने हनुमानगढ़ी मंदिर और भगवान श्री रामलला के दर्शन किए और देश में शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना की। बताया गया कि 17 से 25 तक मुरारी बापू की नौ दिवसीय सनातन मानस राम कथा दिल्ली के भारत मंडपम में होने जा रही है. यह यात्रा विश्व शांति मिशन और शाश्वत शक्तियों को एकजुट करने के लिए है। इस दौरान वाराणसी पीठ के महंत सतुवा बाबा, महंत रामदास, महंत शशिकांत दास, एमबी दास समेत हजारों श्रोता मौजूद रहे।



