दरअसल, महागठबंधन में सीट बंटवारे से पहले लालू और तेजस्वी ने अफजल अली को सिंबल दिया था, लेकिन बाद में यह सीट वीआईपी के खाते में चली गई. इसके बाद तेजस्वी ने अफजल को मैदान छोड़ने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं माने. चुनाव फॉर्म सही था तो अफलाज को राजद का चुनाव चिन्ह भी मिल गया.



