पीएसयू बैंक विलय: भारत के बैंकिंग सेक्टर में एक बार फिर बड़ा बदलाव होने जा रहा है। केंद्र सरकार दो सरकारी बैंकों के मेगा मर्जर की नई योजना पर काम कर रही है. इस योजना के तहत सरकार दो बड़े सरकारी बैंकों का विलय करने की तैयारी कर रही है, जिससे देश में सिर्फ चार बड़े सरकारी बैंक रह जायेंगे. बाकी छोटे बैंकों का इन बड़े बैंकों में विलय करने की योजना तैयार की जा रही है. इन बैंकों में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं।
यूनियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया का विलय होगा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वित्त मंत्रालय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) और बैंक ऑफ इंडिया (BOI) के विलय की संभावना पर गंभीरता से विचार कर रहा है। अगर यह प्रस्ताव हकीकत बन गया तो देश को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के बाद दूसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक मिल जाएगा। फिलहाल यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के करीब 21 करोड़ खाताधारक हैं, जबकि बैंक ऑफ इंडिया के करीब 5.5 करोड़ ग्राहक हैं. दोनों बैंकों के विलय के बाद यह संख्या 25.5 करोड़ खातों तक पहुंच जाएगी, जो एसबीआई के 26 करोड़ खाताधारकों से थोड़ा ही कम है। यह विलय भारतीय बैंकिंग प्रणाली के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है।
सरकार का उद्देश्य क्या है
इस विलय का उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आर्थिक रूप से मजबूत और प्रतिस्पर्धी बनाना है। पिछले कुछ सालों में सरकार ने बैंकिंग सुधारों की दिशा में कई बड़े कदम उठाए हैं, जिनमें 2019 का मेगा मर्जर प्रमुख था। फिर पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को मिलाकर एक बड़ा बैंक बनाया गया। मौजूदा योजना के तहत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या कम करके उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम संस्थान बनाना चाहती है। इससे न केवल पूंजी प्रबंधन आसान होगा, बल्कि डिजिटल बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं में एकरूपता भी आएगी।
आगे भी विलय की तैयारी
सरकार सिर्फ यूनियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया के विलय तक ही नहीं रुकने वाली है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वित्त मंत्रालय इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI), बैंक ऑफ इंडिया (BOI) और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BOM) के संभावित विलय पर भी काम कर रहा है। इससे देश में बचे छोटे सरकारी बैंकों के अस्तित्व को बड़े बैंकों में समाहित किया जा सकेगा।
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खाताधारकों पर क्या होगा असर?
अगर यह विलय होता है तो खाताधारकों के खातों की सेवाओं में तत्काल कोई बदलाव नहीं होगा. इससे उनके खातों, जमा राशि, एटीएम कार्ड या ऋण पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा, बल्कि ग्राहकों को एक एकीकृत बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से बेहतर डिजिटल सेवाओं, व्यापक शाखा नेटवर्क और वित्तीय सुरक्षा से लाभ होगा।
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