बहराईच। उत्तर प्रदेश में बहराइच जिले के कतर्नियाघाट वन क्षेत्र के भरतापुर गांव में हुए नाव हादसे के बाद लापता आठ लोगों का अब तक कुछ पता नहीं चल सका है. आज समाजवादी पार्टी (सपा) का प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए बहराइच के कतर्नियाघाट के भरतपुर गांव के लिए रवाना हुआ, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया.
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर भेजे गए इस प्रतिनिधिमंडल में पूर्व राज्य मंत्री बंशीधर बौद्ध, पूर्व विधायक रमेश गौतम, युवजन सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह उर्फ शैलू, लोहिया वाहिनी के जिलाध्यक्ष नंदेश्वर यादव, ब्लॉक प्रमुख पेशकार राव, पिछड़ा प्रकोष्ठ के जिला सचिव कृष्ण कुमार मौर्य समेत कई अन्य कार्यकर्ता शामिल थे.
सपा नेताओं ने कहा कि दुख की इस घड़ी में वह पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी है और प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रीय अध्यक्ष का संदेश लेकर मौके पर जा रहा है ताकि लापता लोगों के परिवारों को सांत्वना दी जा सके. हालांकि, जैसे ही प्रतिनिधिमंडल सुजौली थाना क्षेत्र के बिछिया बैरियर पर पहुंचा, पुलिस ने उन्हें वहीं रोक दिया.
थानाध्यक्ष ने कहा कि जंगली क्षेत्र होने के कारण जंगली जानवरों का खतरा ज्यादा है, इसलिए किसी को आगे जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती. पुलिस ने सुरक्षा का हवाला देते हुए सपा नेताओं को वापस लौटने की सलाह दी। सपा नेताओं ने इसे ‘प्रशासन की मनमानी’ करार दिया. इसी बीच पुलिस को चकमा देकर पूर्व विधायक रमेश गौतम अपने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ मोटरसाइकिल से भरतापुर गांव पहुंच गये. गांव में उन्होंने लापता और बचाए गए लोगों के परिवारों से मुलाकात की और उनका हालचाल जाना.
गौतम ने कहा, “यह राजनीति का नहीं, मानवता का समय है। पीड़ितों के परिवार अपनों के लिए तरस रहे हैं और प्रशासन उन्हें अकेला छोड़ रहा है।” युवजन सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह शैलू ने कहा कि प्रशासन यदि बचाव कार्य में लगातार नई तकनीक का प्रयोग करे तो लापता आठ लोगों का पता लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अभी तक बचाव कार्य धीमी गति से चल रहा है और परिवारों में निराशा बढ़ती जा रही है. लोहिया वाहिनी के जिलाध्यक्ष नंदेश्वर यादव ने आरोप लगाया कि पुलिस तानाशाही रवैया अपना रही है और समाजवादी पार्टी के नेताओं को पीड़ितों से मिलने नहीं दे रही है. उन्होंने कहा, ”हम अपनी संवेदना व्यक्त करने जा रहे थे, लेकिन हमें बिछिया बैरियर पर जबरन रोक दिया गया.”
इस पूरी घटना के बीच भरतपुर गांव में मातम पसरा हुआ है. हर गुजरते पल के साथ परिवार अपने लापता रिश्तेदारों के वापस आने की उम्मीद खोते जा रहे हैं। प्रशासनिक अमला लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहा है, लेकिन नदी की तेज धारा और वन क्षेत्र की जटिलता के कारण राहत कार्य में दिक्कतें आ रही हैं.
समाजवादी पार्टी ने मांग की है कि प्रशासन बचाव कार्य में तेजी लाए और प्रभावित परिवारों को तत्काल 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए और सपा सरकार के दौरान शुरू की गई विस्थापन प्रक्रिया को जल्द से जल्द विस्थापित किया जाए.


                                    
