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Monday, November 3, 2025
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सड़क नहीं होगी तो क्या इलाज नहीं होगा? लकवाग्रस्त महिला को खाट पर लादकर अस्पताल पहुंचाया गया


राजन पांडे/न्यूज़11 भारत

चैनपुर/डेस्क: चैनपुर प्रखंड के बारडीह पंचायत के तबेला लोटाकोना गांव से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने एक बार फिर मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर रख दिया है. गांव में सड़क नहीं होने के कारण लकवाग्रस्त 58 वर्षीय राहिल टोप्पो को इलाज के लिए खाट पर लादकर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ा.

2 किलोमीटर तक खाट पर सफर किया

जानकारी के अनुसार, राहिल टोप्पो के पति अलबेला टोप्पो को बुधवार की रात पैरालिसिस अटैक आया. गुरुवार की सुबह परिजन आनन-फानन में उसे गुमला अस्पताल ले जाने के लिए निकले, लेकिन दुर्भाग्यवश सड़क की हालत खराब होने के कारण कोई वाहन गांव तक नहीं पहुंच सका. इसके बाद परिजनों और ग्रामीणों ने मिलकर बीमार महिला राहिल टोप्पो को खाट पर लादकर गांव से करीब 2 किलोमीटर दूर स्थित मुख्य सड़क तक पहुंचाया. इस अथक प्रयास के बाद ही उसे गुमला अस्पताल ले जाया जा सका.

विकास से वंचित, सड़क का अभाव अभिशाप बन जाता है

तबेला लोटाकोना गांव चैनपुर प्रखंड मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इसकी आबादी करीब छह सौ लोगों की है. आजादी के इतने साल बाद भी गांव तक सड़क नहीं बन पाना यहां के लोगों के लिए अभिशाप बन गया है. तबेला लोटाकोना के ग्रामीणों ने बताया कि नेताओं और सरकारी कर्मचारियों के उदासीन रवैये और घोर लापरवाही के कारण यह आदिवासी बहुल गांव आज भी बुनियादी सुविधा सड़क से वंचित है. कई विकास योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है.

बरसात में गांव टापू बन जाता है

ग्रामीणों के मुताबिक, बरसात के मौसम में यह गांव पूरी तरह से टापू में तब्दील हो जाता है. तीन-चार माह तक लोगों को गांव से बाहर निकलने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इसका खामियाजा छात्रों, बीमार लोगों व व्यवसायियों को भुगतना पड़ रहा है. पंचायती राज व्यवस्था के तहत वार्ड पार्षद, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य जैसे कई जन प्रतिनिधियों के रहते हुए भी लोटाकोना गांव में सड़क बनवाना अब तक टेढ़ी खीर साबित हुआ है. इस समस्या का मुख्य कारण नेताओं और सरकारी कर्मियों का ढीला रवैया है। इस घटना ने एक बार फिर आदिवासी बहुल और दुर्गम इलाकों में सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी को उजागर कर दिया है, जिसके कारण आम नागरिकों को अपनी जान जोखिम में डालकर जीवन गुजारना पड़ रहा है.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम बघेल ने महागठबंधन प्रत्याशी उमैर खान के पक्ष में प्रचार किया.

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