जमशेदपुर : अखिल भारतीय भाषा संघर्ष समिति के 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें एक मांग पत्र सौंप कर हो भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की. बैठक के दौरान अध्यक्ष द्रौपदी मुर्मू ने प्रतिनिधियों से हो भाषा में बात की और इस पहल के बारे में विस्तार से जानकारी ली. उन्होंने कहा कि देश में हो भाषा बोलने वालों की बड़ी आबादी है और इसे संवैधानिक मान्यता मिलनी चाहिए. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इससे पहले राज्य स्तर की प्रक्रियाओं को पूरा करना जरूरी है.
लगभग 50 लाख लोग हो भाषा बोलते हैं
राष्ट्रपति ने कहा कि हो समुदाय के लोग अपनी मातृभाषा के अस्तित्व को बचाने के लिए गंभीर प्रयास कर रहे हैं, जो भाषा के प्रति उनके प्रेम और सांस्कृतिक समर्पण को दर्शाता है। प्रतिनिधिमंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामराय मुंडुइया ने कहा कि देशभर में करीब 50 लाख लोग हो भाषा बोलते हैं. उन्होंने कहा कि अगर इस भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया तो न केवल बोलने वालों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि शिक्षा, प्रशासन और सांस्कृतिक विकास के नये द्वार खुलेंगे.
समाज में नई आशा जगी
राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सुरा बिरुली ने कहा कि राष्ट्रपति से बातचीत काफी सकारात्मक रही. इससे समाज में नई उम्मीद जगी है कि आने वाले दिनों में हो भाषा को संवैधानिक मान्यता अवश्य मिलेगी. पिछले साल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी हो भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का आश्वासन दिया था. झारखंड और ओडिशा सरकार पहले ही इस संबंध में केंद्र सरकार को अनुशंसा पत्र भेज चुकी है. हो भाषा को झारखंड राज्य में द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त है।
यह भी पढ़ें: बिहार विधानसभा चुनाव में 17 लाख रुपये की अवैध शराब की तस्करी की साजिश नाकाम, झारखंड से 11 तस्कर गिरफ्तार
प्रतिनिधिमंडल में ये थे शामिल
प्रतिनिधिमंडल में रामराय मुंडुइया, सुरा बिरुली, बाजू चंद्र सिरका, गिरीश चंद्र हेम्ब्रम, शांति सिद्धु, बसंत बिरुली, फूलमती सिरका, जगरनाथ केराई, खिरोद हेम्ब्रम, गोपी लागुरी, गोमिया ओमंग और निकिता बिरुली शामिल थे।



