जीपी-स्मैश परियोजना के परिणामस्वरूप, राज्य के नागरिक अब गुजरात पुलिस की उपस्थिति में सुरक्षित महसूस करते हैं, पुलिस केवल एक क्लिक की दूरी पर है। सोशल मीडिया पर सवाल अब सिर्फ ‘ट्रेंड’ नहीं रह गए हैं, जिम्मेदार लोगों पर तुरंत कार्रवाई हो रही है. परिणामस्वरूप नागरिकों में पुलिस के प्रति विश्वास एवं सुरक्षा की भावना काफी बढ़ी है। जीपी-स्मैश केवल डिजिटल निगरानी के बारे में नहीं है, बल्कि एक जवाबदेह और प्रौद्योगिकी-सक्षम पुलिसिंग प्रणाली की दिशा में एक मजबूत कदम भी है।
ऐसे कई मामले सफलतापूर्वक सुलझाये गये
इस संबंध में राज्य पुलिस प्रमुख विकास सहाय ने कहा था कि GP-SMASH परियोजना के माध्यम से ऐसे कई मामलों को सफलतापूर्वक हल किया गया है. जीपी-स्मैश परियोजना की शुरुआत से लेकर आज तक, इस टीम ने 850 से अधिक नागरिकों के अभ्यावेदन को संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाया है और उनके प्रश्नों का कुछ ही घंटों के भीतर समाधान किया गया है, जो सार्वजनिक संवाद के लिए एक बड़ी सफलता है। GP-SMASH केवल एक डिजिटल निगरानी नहीं है, बल्कि एक जिम्मेदार और प्रौद्योगिकी-सक्षम पुलिसिंग प्रणाली की दिशा में एक मजबूत कदम भी है।
जीपी-स्मैश कैसे काम करता है?
जीपी-स्मैश एक सोशल मीडिया जागरूकता और निगरानी परियोजना है, जिसमें राज्य स्तर से एक समर्पित टीम 24*7, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट की गई पुलिस विभाग की सकारात्मक और अपराध संबंधी गतिविधियों, शिकायतों और अच्छे कार्यों की वास्तविक समय में निगरानी करती है। यह टीम गुजरात पुलिस के एक्स हैंडल को टैग करके की गई पोस्ट का मिनटों में जवाब देती है। उसके बाद कानून-व्यवस्था, यातायात समस्या, शराबबंदी, साइबर धोखाधड़ी, रिश्वत मांगने या सरकारी अधिकारियों द्वारा दुर्व्यवहार जैसे विभिन्न मुद्दों पर संबंधित रेंज, जिला इकाई के प्रमुख को तुरंत उसी पद से आवश्यक जांच करने और उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाता है। इस पोस्ट के संबंध में क्या कार्रवाई की जानी चाहिए, इसके संबंध में संबंधित जिला और रेंज इकाई के प्रमुख अपनी टीम को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश देंगे और समय सीमा के भीतर उनके द्वारा की गई कार्रवाई को उसी पोस्ट पर टिप्पणी करके अपडेट किया जाएगा। राज्य स्तरीय टीम के अलावा रेंज प्रमुख और जिला पुलिस प्रमुख के तीन स्तरों से पुलिस के काम की लगातार निगरानी की जाती है.



