जबलपुर, एक नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने शनिवार को कहा कि सिर्फ इसलिए कि कोई ऐसा चाहता है, संगठन पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। साथ ही कहा कि ऐसी मांग करने वालों को अतीत से सीखना चाहिए.
यहां आरएसएस की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारिणी बैठक के समापन के बाद पत्रकारों से बात करते हुए, होसबले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के उस बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि संघ पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
होसबले ने कहा, “इस तरह के प्रयास पहले भी तीन बार हो चुके हैं। तब समाज ने क्या कहा? कोर्ट ने क्या कहा? इन सबके बावजूद संघ का काम बढ़ता रहा। प्रतिबंध लगाने के वाजिब कारण होने चाहिए।”
उन्होंने कहा, ”यह सिर्फ इसलिए नहीं हो सकता क्योंकि कोई ऐसा चाहता है।” यदि कोई नेता कहता है कि भारत की एकता, सुरक्षा और संस्कृति के लिए काम करने वाले संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, तो उसे इसका कारण भी बताना चाहिए।
आरएसएस नेता ने कहा कि समाज ने आरएसएस को स्वीकार कर लिया है और “सरकारी तंत्र” ने भी फैसला सुनाया है कि ऐसे प्रतिबंध गलत हैं।
उन्होंने कहा, “जो लोग अब प्रतिबंध की मांग कर रहे हैं उन्हें पिछले अनुभवों से सीखना चाहिए।”
शुक्रवार को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरएसएस पर दोबारा प्रतिबंध लगाने के सवाल पर कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा था, ”यह मेरी निजी राय है और मैं खुले तौर पर कहूंगा, ऐसा होना चाहिए.”
उन्होंने आरोप लगाया था कि कानून-व्यवस्था की ज्यादातर समस्याएं बीजेपी और आरएसएस की वजह से पैदा हो रही हैं.
इस बीच, जब उनसे पूछा गया कि क्या आरएसएस की बैठक में बिहार या पश्चिम बंगाल चुनावों पर चर्चा हुई, तो होसबले ने कहा कि बिहार चुनाव पर कोई चर्चा नहीं हुई, लेकिन संघ का रुख स्पष्ट है कि लोगों को बड़ी संख्या में मतदान करना चाहिए। वोट देश और समाज से जुड़े मुद्दों पर होना चाहिए न कि जाति या पैसे के आधार पर.
पश्चिम बंगाल को लेकर होसबोले ने कहा कि इस बैठक में वहां के हालात पर चर्चा नहीं हुई, लेकिन पहले भी इस पर चर्चा हो चुकी है.
उन्होंने कहा, “वहां स्थिति गंभीर है. पिछली बैठक में बंगाल पर एक प्रस्ताव पारित किया गया था. राज्य में संघ का काम बढ़ रहा है, लेकिन पिछले चुनाव के बाद राजनीतिक नेतृत्व और मुख्यमंत्री के कारण द्वेष और नफरत फैल गई है.”
आरएसएस नेता ने कहा कि बंगाल एक सीमावर्ती राज्य है और बांग्लादेश से आने वाले लोगों का बोझ झेल रहा है.
उन्होंने कहा, “अगर राजनीतिक नेतृत्व इस खतरे को खत्म करने में विफल रहता है, तो कभी भारत के अग्रणी राज्य रहे बंगाल को अस्थिरता और हिंसा के माहौल में रखना देश के साथ अन्याय होगा।”
उन्होंने कहा कि आरएसएस कार्यकर्ता बंगाल में सामाजिक एकता को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं.
मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर होसबले ने कहा कि इसे समय-समय पर अद्यतन किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ”सूचियों में सुधार किया जाना चाहिए।” इसमें समस्या क्या है? अगर किसी को इसकी प्रक्रिया पर कोई आपत्ति है तो वे चुनाव आयोग के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं.
भाषा डिमो शफीक
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