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Sunday, November 2, 2025
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RSS का कांग्रेस को जवाब:दत्तात्रेय होसबोले बोले- ‘पहले 3 बार कोशिश की, एक बार फिर करो’, धर्मांतरण और जाति जनगणना पर भी बोले


जबलपुर: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने वाले बयान पर संघ ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. जबलपुर में हुई अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कांग्रेस को खुली चुनौती देते हुए दोबारा ऐसा प्रयास करने को कहा.

होसबले ने कहा कि समाज और सरकार ने संघ को स्वीकार कर लिया है और प्रतिबंध लगाने के पहले के प्रयासों को अदालतों ने खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को ऐसे बयान देने से पहले अपने पिछले अनुभवों से सीख लेनी चाहिए.

कांग्रेस को खुली चुनौती

मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान का सीधा जवाब देते हुए दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि कांग्रेस पहले भी तीन बार संघ पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर चुकी है, लेकिन हर बार असफल रही.

“उन्हें (कांग्रेस) आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने का कारण भी बताना चाहिए। ऐसे संगठन पर प्रतिबंध लगाने की बात क्यों हो रही है जो भारत की सुरक्षा, संस्कृति और विकास के लिए काम करता है? समाज ने हमें स्वीकार कर लिया है, उन्हें पहले के अनुभव से सबक सीखना चाहिए।” -दत्तात्रेय होसबले, सर कार्यवाह, आरएसएस

उन्होंने आगे कहा कि जब भी संघ पर प्रतिबंध लगा, अदालतों ने उसे गलत साबित किया. ऐसे में जो नेता इस तरह की बातें कर रहे हैं उन्हें सोचना चाहिए कि समाज किस दिशा में जा रहा है.

धर्मांतरण और ‘घर वापसी’ पर संघ का जोर

सर कार्यवाह ने कहा कि कार्यकारिणी की बैठक में देश में बढ़ते धर्मांतरण के मुद्दे पर भी गहन चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि अब धर्मांतरण को रोकना और ‘घर वापसी’ को बढ़ावा देना जरूरी हो गया है.

होसबले ने कहा, “संघ पूरे देश में धार्मिक जागृति के लिए काम कर रहा है. खासकर आदिवासी इलाकों में धर्मांतरण रोकने के साथ-साथ धार्मिक जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है.” उन्होंने पंजाब का जिक्र करते हुए कहा कि वहां साजिश के तहत धर्मांतरण कराया जा रहा है, जो एक बड़ी समस्या है.

जाति जनगणना और बंगाल हिंसा

जातीय जनगणना के मुद्दे पर होसबले ने कहा कि इसका इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “यह सच है कि देश में कुछ जातियां विकास की दौड़ में पिछड़ गई हैं. आंकड़ों का इस्तेमाल केवल पिछड़ों के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए, न कि समाज में भेदभाव बढ़ाने के लिए.”

इसके अलावा उन्होंने पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा पर चिंता जताते हुए कहा कि राज्य में अस्थिरता पैदा करने वालों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है, जो देश के साथ अन्याय है.

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