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Sunday, November 2, 2025
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दिल्ली के इस इलाके में रेस्टोरेंट चलाते थे शाहरुख खान के पिता, एक्टिंग से पहले ‘किंग खान’ ने किया था ये काम


मनोरंजन डेस्क. बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान ने साल 1992 में फिल्म दीवाना से हिंदी सिनेमा में डेब्यू किया था। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि बड़े पर्दे पर आने से पहले वह दिल्ली में थिएटर और टीवी शोज में काम करते थे।

अभिनय में कदम रखने से पहले उनका थिएटर की दुनिया से गहरा नाता था और वहीं से उन्हें एक कलाकार के रूप में जाना जाने लगा।

शाहरुख का सफर थिएटर से शुरू हुआ.

शाहरुख खान ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत दिल्ली के मशहूर थिएटर एक्शन ग्रुप (TAG) से की थी. समूह की स्थापना 1973 में बैरी जॉन द्वारा की गई थी।

80 के दशक में शाहरुख इससे जुड़े और कला निर्देशक के तौर पर कई नाटकों में काम किया. उस वक्त थिएटर में उनके साथ रहे संजय सुजिताभ कहते हैं कि शाहरुख बेहद मेहनती, विनम्र और मदद करने वाले इंसान थे.

शुरुआत डांसर के रोल से हुई

साल 1985 में शाहरुख ने अपना पहला प्ले ‘एनी गेट योर गन’ TAG के साथ किया था। यह एक अमेरिकी संगीत नाटक था जिसका मंचन लेडी श्री राम कॉलेज के छात्रों के साथ कमानी ऑडिटोरियम में किया गया था।

इस नाटक में लगभग 80 छात्राएं और मात्र 4-5 छात्र थे। इसमें शाहरुख लीड डांसर के तौर पर नजर आए और दर्शकों का दिल जीत लिया।

इसके बाद उन्होंने ‘बगदाद का गुलाम’ नाटक में रघुवीर यादव, मनोज बाजपेयी, दिव्या सेठ और दीपिका देशपांडे जैसे कलाकारों के साथ मंच साझा किया। यह प्रस्तुति भी काफी हिट रही.

हर परिस्थिति में मदद को तैयार

संजय सुजिताभ बताते हैं कि शाहरुख उस वक्त काफी जिम्मेदार और मददगार थे। ‘रिहर्सल देर रात तक जारी रही। उस समय इतने संसाधन नहीं थे इसलिए शाहरुख लड़कियों को अपनी कार से नोएडा छोड़ते थे।

अगर सेट पर चाय नहीं मिलती थी तो वह खुद स्टेशन या आईटीओ जाकर चाय लाते थे और सबको पिलाते थे। उन्हें फैशन शो कोरियोग्राफी में भी रुचि थी और उन्होंने कई कॉलेज कार्यक्रमों में भाग लिया।

पिता का दिल्ली में रेस्टोरेंट था

बहुत कम लोग जानते हैं कि शाहरुख खान के पिता ताज मोहम्मद खान का दिल्ली के सफदरजंग इलाके में एक रेस्टोरेंट था। शुरुआत में इसका नाम ‘रैम्बल’ था, जिसे बाद में बदलकर ‘साके’ कर दिया गया। इस रेस्टोरेंट की देखभाल उनकी मां लतीफ फातिमा खान करती थीं।

थिएटर के दिनों में शाहरुख अक्सर दोस्तों के साथ इस रेस्टोरेंट में जाते थे। सुजिताभ कहते हैं, ‘शूटिंग के वक्त वह अक्सर कहते थे- अपनी मां का ख्याल रखना।’

मुंबई के थिएटर स्टेज से फिल्मी पर्दे तक शाहरुख का सफर संघर्ष, कड़ी मेहनत और समर्पण से भरा रहा। दिल्ली के एक साधारण कलाकार से लेकर बॉलीवुड के ‘किंग खान’ बनने तक उन्होंने हर कदम पर खुद को साबित किया।

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