यह कोई ‘तकनीकी त्रुटि’ नहीं, उनकी सांस्कृतिक उदासीनता का स्पष्ट प्रमाण है। इससे पता चलता है कि उन्हें बिहार और यहां के त्योहारों से रत्ती भर भी प्यार नहीं है. आस्था, परंपरा और विविधता से भरे इस पवित्र त्योहार के लिए राहुल गांधी को दिल से कोई नई इच्छा या नई भावना व्यक्त करना जरूरी नहीं लगा. वे सिर्फ दिखावे के लिए पुराना ‘कंटेंट’ पोस्ट करते हैं, जैसे छठ पूजा कोई सामान्य त्योहार हो, जिसे सिर्फ ‘कॉपी-पेस्ट’ करके निपटाया जा सकता है। जब राहुल गांधी की शुभकामनाएं ‘कॉपी-पेस्ट’ हैं तो आस्था ‘असली’ कैसे हो सकती है?



