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Friday, October 31, 2025
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चक्रवात ‘मोंथा’ ने मचाई तबाही! चार दिन की बारिश से फसल बर्बाद हो गई


पंकज कुमार/न्यूज़11 भारत
गुमला/डेस्क:
घाघरा थाना क्षेत्र में चार दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश ने गुमला जिले और आसपास के किसानों की कमाई को गहरा झटका दिया है. चक्रवात ‘मोंथा’ के प्रभाव से हुई इस अप्रत्याशित बारिश से खेतों में खड़ी धान और मटर की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है, जहां एक ओर खेतों में पानी भर जाने से धान की बालियां झुक गयी हैं और गिरी हुई फसलें सड़ने लगी हैं. उधर, मटर की नाजुक पौध सड़ने लगी है। धान की फसल से ठीक पहले हुई असामयिक बारिश ने किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया. किसान सुमई उरांव का कहना है कि लगातार अच्छी धूप और समय पर सिंचाई के कारण इस वर्ष उन्हें बेहतर उपज की उम्मीद थी, लेकिन चार दिनों से लगातार हो रही बारिश ने खेतों में जलजमाव कर सब बर्बाद कर दिया. उनका कहना है कि अब जो भी फसल खेतों से निकलेगी, वह बाजार में औने-पौने दाम पर बिकेगी. इसी तरह बिशुन साव भी हैं, जो हर साल धान के साथ-साथ मटर की भी खेती करते हैं। बताया जाता है कि मटर की फसल अभी अंकुरण अवस्था में थी और लगातार नमी के कारण अंकुर सड़ने लगे थे. उन्होंने आगे कहा कि बारिश से न सिर्फ फसलों को नुकसान हुआ है बल्कि खेतों तक पहुंचने के रास्ते भी कीचड़ से भर गए हैं, जिससे खेतों की निगरानी करना भी मुश्किल हो गया है. कृषि विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने भी माना है कि इस बार की बारिश से खरीफ फसलों को गहरा नुकसान हुआ है. अधिकारियों का कहना है कि अभी खेतों में पानी नहीं भरा है. वहां, किसान उचित जल निकासी और पौधों पर छिड़काव करके फसल को आंशिक रूप से बचा सकते हैं। विभाग ने किसानों को जल्द से जल्द खेतों की जल निकासी सुनिश्चित करने की सलाह दी है ताकि सड़न की संभावना कम हो सके.

घाघरा प्रखंड के किसान अब सरकार से मुआवजे की उम्मीद कर रहे हैं ताकि उनके नुकसान की भरपाई हो सके. किसानों के चेहरे पर निराशा साफ नजर आ रही है. इस बार वे अच्छी फसल के बाद अपनी उपज का बेहतर दाम पाने का सपना देख रहे थे, ताकि परिवार की जरूरतें पूरी हो सकें, लेकिन असामयिक बारिश ने उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. कई किसानों ने कहा कि उन्हें इस बात की चिंता है कि साहूकारों या बैंकों से लिया गया कर्ज कैसे चुकाएंगे. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी अनियमित मौसमी बारिश अब आम होती जा रही है. वे किसानों को फसल विविधीकरण, स्थायी जल निकासी प्रणाली और वैज्ञानिक कृषि प्रबंधन पर ध्यान देने की सलाह देते हैं, ताकि भविष्य में इस तरह के नुकसान को कम किया जा सके। फिलहाल गांवों में किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए बारिश रुकने और खेत सूखने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि जो कुछ बचा है उसका प्रबंध कर सकें।

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