मोकामा: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से पहले मोकामा विधानसभा सीट लेकिन राजनीतिक तनाव चरम पर पहुंच गया है. यहाँ जन सुराज पार्टी प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के समर्थन में अभियान के दौरान हुआ दुलारचंद यादव की हत्या के मामले में जेडीयू प्रत्याशी और बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह को नामित अभियुक्त सृजित किया गया। इस घटना ने चुनावी माहौल को और भी गरमा दिया है.
गिरिराज सिंह का बयान- ‘राजनीति में खून-खराबे की कोई जगह नहीं’
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गिरिराज सिंह इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है.
उसने कहा –
“राजनीति में रक्तपात के लिए कोई जगह नहीं है।
मोकामा में जिनकी हत्या हुई, वे भी कुख्यात अपराधी थे. “हत्या क्यों हुई यह जांच का विषय है, लेकिन राजनीति में हिंसा अस्वीकार्य है।”
गिरिराज सिंह ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन लड़ाई गोलियों से नहीं, विचारों से लड़नी चाहिए।
जीतन राम मांझी का आरोप- ‘जानबूझकर कराई गई घटना’
HAM (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) अध्यक्ष जीतन राम मांझी इस घटना के संबंध में राजद पर निशाना साधा।
उसने कहा –
“यह घटना जानबूझकर राजद के लोगों द्वारा कराई जा रही है। हमारे उम्मीदवारों पर हमले किए जा रहे हैं और प्रचार में बाधा उत्पन्न की जा रही है। प्रशासन कार्रवाई कर रहा है और कार्रवाई भी करेगा।”
मांझी ने कहा कि बिहार में शांतिपूर्ण मतदान इसे सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाना जरूरी है.
उपेन्द्र कुशवाहा बोले- ‘पूरी जानकारी लेने के बाद ही दूंगा बयान’
आरएलजेडी (राष्ट्रीय लोक जनता दल) अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा कहा कि उन्होंने कुछ साथियों से घटना पर चर्चा की है, लेकिन अभी पूरी जानकारी उनके पास यह नहीं है.
उन्होंने कहा, “जब सारे तथ्य सामने आ जाएंगे, तभी मैं इस पर विस्तृत बयान दूंगा।” कुशवाह ने इसकी अपील भी की सभी राजनीतिक दलों को संयम बरतना चाहिए और नाव को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष बनाए रखना।
प्रशासन अलर्ट, बढ़ाई गई सुरक्षा
मोकामा में नरसंहार के बाद सुरक्षा एजेंसियाँ और प्रशासन हाई अलर्ट पर हैं. मामले के गहन जांच जारी है और चुनाव आयोग ने भी कड़ी निगरानी निर्देश दिए गए हैं. स्थानीय प्रशासन ने सभी संबंधित पक्षों से संपर्क किया है. शांति बनाए रखें मतदाताओं के बीच भय का माहौल न फैले, इसकी भी अपील की गयी है.अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया जा रहा है.
विश्लेषण- हिंसा से बढ़ी राजनीतिक गर्मी
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मोकामा की यह घटना चुनावी माहौल को काफी हद तक खराब कर देगी. प्रभावित कर सकता है। एक तरफ प्रत्याशी सुरक्षा का मुद्दा उठा रहे हैं तो दूसरी तरफ मतदाता अशांत माहौल के बारे में चिंतित हैं. चुनाव से ठीक पहले ऐसी घटनाएं रणनीति पर असर डालती हैं और सार्वजनिक मतदान व्यवहार दोनों पर असर पड़ सकता है.
निष्कर्ष – “अब जांच से पता चलेगा सच”
मोकामा की इस घटना का असर बिहार विधानसभा चुनाव पर पड़ा.
फिर एक बार कानून एवं व्यवस्था एवं सुरक्षा का मुद्दा उठाया है. अब उस पर पूरे प्रदेश की नजर है जांच कहां जाती है? और प्रशासन दोषियों तक पहुंच पा रहा है या नहीं.
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