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Friday, October 31, 2025
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मोकामा में बवाल, फायरिंग और हत्या के बाद सियासी भूचाल – सूरजभान सिंह ने तोड़ी चुप्पी, कहा- ‘जांच में दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा’ लोकजनता


मोकामा: बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान पटना जिले के. मोकामा सीट एक बार फिर सुर्खियों में हैं. गुरूवार को जेडीयू प्रत्याशी और बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह और जन सुराज पार्टी प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी काफिलों के बीच झड़प हो गई. मामूली विवाद ने देखते ही देखते हिंसक रूप ले लिया – फायरिंग और पथराव के बीच गोली लगने से पीयूष समर्थक दुलारचंद यादव की मौत यह हो चुका है।

इस घटना ने न सिर्फ मोकामा बल्कि पूरे बिहार की राजनीति को हिलाकर रख दिया है.


अनंत सिंह के आरोपों पर सूरजभान सिंह का जवाब- ‘मैं कुछ नहीं कहूंगा, जांच ही सच बताएगी’

दुलारचंद यादव हत्याकांड में जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह राजद प्रत्याशी वीणा देवी के पति सूरजभान सिंह लेकिन अप्रत्यक्ष आरोप लगाए गए.
अब सूरजभान सिंह ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा-

उन्होंने कहा, ”मैं अनंत सिंह की बातों का कोई जवाब नहीं दूंगा. मैं बस इतना कहूंगा कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए.”
जांच के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।”

उन्होंने यह घटना “लोकतंत्र के लिए शर्मनाक” बताया और कहा कि चुनावी माहौल में ऐसी हिंसा स्वीकार्य नहीं है.


“आचार संहिता में फायरिंग कैसे हो गई?” -सूरजभान ने उठाए सवाल

सूरजभान सिंह ने चुनाव आयोग और प्रशासन पर उठाए सवाल, कहा-

“जहां केवल 10 उम्मीदवार हैं और आदर्श आचार संहिता लागू है, ऐसी घटनाएं कैसे हो रही हैं?
लोगों में डर और दहशत का माहौल है. मैं चाहता हूं कि दोषियों को सजा मिले और निर्दोष को परेशान न किया जाए।’

उन्होंने कहा कि इस घटना से लोगों चुनाव प्रक्रिया और लोकतंत्र पर भरोसा रखें कमजोर हो रहा है.


‘रिटायर्ड जजों की बेंच बनाकर हो जांच’-निष्पक्षता की मांग

सूरजभान सिंह ने कहा कि इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया-

“चुनाव आयोग और पुलिस प्रशासन को सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की एक विशेष पीठ का गठन करना चाहिए।
जांच पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए ताकि किसी भी पक्ष को नुकसान न हो।

उन्होंने मीडिया से भी इस घटना को सनसनीखेज न बनाने की अपील की न्याय प्रक्रिया पर ध्यान दें.


मोकामा में दहशत, सुरक्षा बढ़ाने की मांग

घटना के बाद मोकामा और आसपास के इलाके में तनाव और भय का माहौल है।
स्थानीय लोग चुनाव आयोग से अतिरिक्त सुरक्षा इसकी मांग इसलिए की गई है ताकि वोटिंग के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस हिंसा ने मतदाताओं के मन में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है, जिसका असर मतदान प्रतिशत पर पड़ सकता है.


सियासी असर- जेडीयू और राजद आमने-सामने

ये मामला राजनीतिक है जेडीयू और राजद में भिड़ंत और गहराता नजर आ रहा है.
एक तरफ अनंत सिंह के आरोप, दूसरी तरफ सूरजभान सिंह का शांत जवाब- अब दोनों पक्ष जांच पर निर्भर हैं.
विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अगर जांच निष्पक्ष हो तो चुनावी माहौल में पारदर्शिता बहाल हो सकती है.


निष्कर्ष – “केवल न्याय ही विश्वास बहाल करेगा”

मोकामा की ये घटना बिहार विधानसभा चुनाव की सबसे बड़ी सियासी सुर्खियां बन गई है.
सूरजभान सिंह के शब्दों में-

“केवल एक निष्पक्ष जांच ही इस मामले का अंतिम समाधान प्रदान कर सकती है और जनता का विश्वास बहाल कर सकती है।”

अब सबकी निगाहें प्रशासन और चुनाव आयोग पर हैं – क्या वे मोकामा की इस हिंसा को न्याय और शांति के रास्ते पर ले जा पाएंगे?



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