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Thursday, October 30, 2025
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रांची और चाईबासा में बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने का मामला, हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार


न्यूज11भारत
रांची/डेस्क:
रांची और चाईबासा में बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने के मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग को कड़ी फटकार लगाई है. मामले की सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य सचिव अजय कुमार सिंह, झारखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी के परियोजना निदेशक और ड्रग कंट्रोलर अदालत में सशरीर उपस्थित थे. मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश राजेश शंकर की खंडपीठ ने इस घटना को बेहद गंभीर बताया और सरकार को तुरंत ठोस कार्रवाई करने के निर्देश दिए. कोर्ट ने सख्त लहजे में पूछा कि झारखंड में बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक क्यों चल रहे हैं और ब्लड बैंकों के लाइसेंस का नवीनीकरण दो साल से क्यों लंबित है.

खंडपीठ ने यह भी सवाल उठाया कि एचआईवी संक्रमण की जांच के लिए आवश्यक एडवांस्ड न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (एनएटी) मशीनें अभी तक अस्पतालों में क्यों नहीं लगाई गई हैं। कोर्ट ने सरकार से राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों में आयोजित रक्तदान शिविरों का पूरा ब्योरा मांगा है. यह भी निर्देश दिया गया है कि राज्य में कितने रक्त की आवश्यकता है और कितना रक्त उपलब्ध है, इसका सटीक आंकड़ा प्रस्तुत किया जाये. इसके अलावा कोर्ट ने झारखंड में राष्ट्रीय रक्त नीति को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पेश करने का निर्देश दिया है. खंडपीठ ने कहा कि पहले भी इस मामले पर सरकार को निर्देश दिया गया था, लेकिन रांची और चाईबासा में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया.

महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि सरकार द्वारा नियमित रूप से रक्तदान के लिए शिविर आयोजित किये जा रहे हैं और जल्द ही सभी जिलों में न्यूक्लिक एसिड टेस्ट मशीनें लगायी जायेंगी. सुनवाई के दौरान लाइफ सेवर संस्था के अतुल गेरा और अधिवक्ता शुभम कटारुका ने भी अपना पक्ष रखा.

आपको बता दें कि रांची सदर अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित एक बच्चे को खून चढ़ाने के बाद एचआईवी से संक्रमित पाया गया था. इस मामले में बच्चे के पिता ने झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था, जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया और जनहित याचिका में तब्दील कर दिया. वहीं, चाईबासा सदर अस्पताल में ब्लड ट्रांसफ्यूजन के बाद पांच बच्चे एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनमें थैलेसीमिया से पीड़ित सात साल का बच्चा भी शामिल है. इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य सचिव और जिला सिविल सर्जन से रिपोर्ट तलब की है.

यह भी पढ़ें: पेसा नियम लागू नहीं करने पर अवमानना ​​याचिका पर अब 13 नवंबर को झारखंड हाई कोर्ट में होगी सुनवाई

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