ट्रम्प शी बुसान बैठक: ट्रंप-शी की मुलाकात में कई चेहरे मुस्कुराए, लेकिन तीन मुद्दों पर खामोशी छाई रही. बुसान में करीब दो घंटे तक चली बातचीत में दोनों नेताओं ने कई मुद्दों पर बात की, लेकिन कुछ अहम सवाल अनछुए रह गए. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की गुरुवार को दक्षिण कोरिया के बुसान में मुलाकात हुई. दोनों नेताओं के बीच करीब दो घंटे तक चली बैठक को ट्रंप ने ‘अद्भुत’ बताया. उन्होंने कहा, “हमारे बीच बहुत अच्छे संबंध हैं. शी सख्त बात करने वाले नेता हैं, लेकिन अब अमेरिका और चीन के बीच बहुत अच्छे संबंध होंगे.”
शी जिनपिंग ने भी जवाब में कहा कि चीन और अमेरिका दोनों बड़े देश हैं, हम मिलकर अपनी जिम्मेदारियां निभा सकते हैं और अपने देशों और पूरी दुनिया के लिए अच्छा और ठोस काम कर सकते हैं. बातचीत में व्यापार, फेंटेनल और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे मुद्दे शामिल थे, लेकिन तीन अहम मुद्दों पर दोनों नेता चुप रहे. आइए जानते हैं वो कौन से तीन मुद्दे थे जिन पर चर्चा नहीं हुई-
ट्रंप शी बुसान मीटिंग: ताइवान का मुद्दा नहीं उठाया गया
ट्रंप और शी के बीच लंबी बातचीत में ताइवान का नाम तक नहीं आया. ताइवान को पहले से ही चिंता थी कि ट्रंप चीन के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिशों में उसके समर्थन को कमज़ोर कर सकते हैं. जब पत्रकारों ने ट्रंप से पूछा कि क्या ताइवान पर कोई चर्चा हुई तो उन्होंने साफ कहा कि बैठक में यह मुद्दा नहीं उठा. ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान भी ताइवान मुद्दा संघर्ष का एक बड़ा कारण था। उस समय विदेश मंत्री माइक पोम्पियो का चीन पर रुख काफी सख्त था। अब उनके मौजूदा विदेश मंत्री मार्को रुबियो भी उसी लाइन पर चल रहे हैं. अमेरिका का मकसद साफ है कि चीन को यह संदेश दिया जाए कि ताइवान पर प्रभुत्व जमाने की उसकी कोशिशें स्वीकार नहीं की जाएंगी.
इस बीच रॉयटर्स के मुताबिक ताइवान के विदेश मंत्री लिन चिया-लंग ने ट्रंप-शी मुलाकात से पहले कहा था कि उन्हें अमेरिका के साथ अपने संबंधों पर पूरा भरोसा है. उन्होंने कहा, “ताइवान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच सुरक्षा और अन्य मामलों पर मजबूत सहयोग है। हमारे बीच संचार की कई लाइनें खुली हैं।”
रूस से तेल खरीद पर चुप्पी
बैठक में रूस-यूक्रेन युद्ध पर तो खुलकर चर्चा हुई, लेकिन चीन द्वारा रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर दोनों नेताओं ने कुछ नहीं कहा. ट्रंप ने कहा कि हम कुछ हासिल करने के लिए यूक्रेन पर शी जिनपिंग के साथ काम करेंगे और हम परमाणु निरस्त्रीकरण के बारे में रूस से बात कर रहे हैं। यानी वे रूस से परमाणु हथियार कम करने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन तेल के मुद्दे पर चुप हैं.
ये वही मुद्दा है जिस पर ट्रंप कई बार चीन को चेतावनी दे चुके हैं. उनका कहना रहा है कि रूस से तेल खरीदकर चीन मॉस्को की “युद्ध मशीन” को ताकत दे रहा है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन द्वारा रूसी कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगाने के बाद चीनी कंपनियों पेट्रोचाइना और सिनोपेक ने फिलहाल रूस से समुद्री तेल खरीदना बंद कर दिया है. इसके बावजूद सवाल बना हुआ है कि क्या यह ट्रंप की नरमी थी या सोची-समझी चाल थी कि उन्होंने इस बार इस बारे में बात नहीं की?
‘ब्लैकवेल’ चिप्स पर भी कोई चर्चा नहीं हुई
बुसान जाने से पहले ट्रंप ने कहा था कि वह शी जिनपिंग से अमेरिकी कंपनी एनवीडिया के ब्लैकवेल एआई चिप्स पर चर्चा करेंगे, लेकिन मुलाकात के बाद यह मुद्दा भी गायब रहा. ये वही मामला है जिसने इस साल दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर बढ़ा दिया था. अमेरिका का कहना है कि चीन इन हाई-एंड चिप्स का इस्तेमाल अपनी सैन्य तकनीक को बढ़ाने के लिए कर सकता है, इसलिए उसने एनवीडिया को अपने सबसे उन्नत मॉडल चीन को बेचने से रोक दिया। वहीं, चीन का कहना है कि यह अमेरिका का ”तकनीकी नियंत्रण” थोपने का तरीका है.
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