लखनऊ, लोकजनता: ब्रेन स्ट्रोक को हार्ट अटैक जितनी ही गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि जिस तरह सीने में दर्द हार्ट अटैक का कारण बन सकता है, उसी तरह ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों को भी जानना जरूरी है। अगर मरीज लक्षण दिखने के तीन-चार घंटे के अंदर स्ट्रोक रेडी सेंटर पहुंच जाए तो लकवे की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है। यह जानकारी केजीएमयू के आपातकालीन चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. हैदर अब्बास ने विश्व स्ट्रोक दिवस से एक दिन पहले मंगलवार को साझा की।
लक्षण दिखने के 3-4 घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचने पर लकवे की संभावना कम हो जाती है।
डॉ. हैदर ने कहा कि भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण रक्तचाप प्रभावित हुआ है। इससे ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ गया है। ब्रेन स्ट्रोक की न्यूनतम उम्र में भी लगातार गिरावट आ रही है। जागरूकता से ही ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सकता है। सुरक्षा के लिए बी-फास्ट के बारे में जानना जरूरी है।
शराब और धूम्रपान से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है
केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर के सीएमएस डॉ. प्रेमराज सिंह ने बताया कि स्ट्रोक किसी भी आयु वर्ग के लोगों को हो सकता है। उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, मधुमेह, मोटापा और अधिक शराब पीने से इसका खतरा बढ़ जाता है। ट्रॉमा सेंटर में प्रतिदिन पांच से सात ऐसे मरीज आ रहे हैं। सर्दी में ऐसे मरीजों की संख्या 12 से 15 तक पहुंच जाती है। उन्होंने कहा कि हमारा स्वास्थ्य हमारे हाथ में है। फिट रहने के लिए अगर आप हेल्दी लाइफस्टाइल और खान-पान पर ध्यान दें तो लंबे समय तक बीमारियों से दूर रह सकते हैं। स्वस्थ आहार बहुत जरूरी है. अपने आहार में फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज शामिल करें।
नियमित स्वास्थ्य जांच जरूरी है
डॉ. प्रेमराज ने नियमित स्वास्थ्य जांच पर जोर देते हुए कहा कि इससे स्ट्रोक के खतरों को कम किया जा सकता है. नियमित स्वास्थ्य जांच से हमें कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर आदि चीजों के बारे में जानकारी मिलती रहती है, ताकि यदि कोई उतार-चढ़ाव हो तो उसे आवश्यक चिकित्सा सहायता की मदद से ठीक किया जा सके। इसके अलावा नियमित व्यायाम से भी स्ट्रोक से बचा जा सकता है।
स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं
इस्केमिक स्ट्रोक: यह तब होता है जब मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनी में रक्त का थक्का बन जाता है, जिससे रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। यह स्ट्रोक का सबसे आम प्रकार है। लगभग 85 प्रतिशत मरीज़ इसी स्ट्रोक से पीड़ित होते हैं।
रक्तस्रावी स्ट्रोक: यह तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त वाहिका फट जाती है या रिसाव हो जाता है। रक्तस्राव मस्तिष्क के ऊतकों पर दबाव डालता है और ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित करता है। स्ट्रोक के 15 प्रतिशत मरीजों में ऐसा होता है।
कारण
– उच्च रक्तचाप
– मधुमेह
– दिल की बीमारी
– धूम्रपान
– शराब का दुरुपयोग
-अधिक वजन
– तनाव
– नींद की कमी
-अनियमित जीवनशैली
लक्षण
शरीर के एक हिस्से में कमजोरी
– बोलने में दिक्कत होना
– देखने में कठिनाई
– चलने में दिक्कत होना
– सिरदर्द या मतली
बचाव
– तनाव प्रबंधन
– स्वस्थ आहार
– नियमित व्यायाम
– नियमित स्वास्थ्य जांच
– अच्छी नींद की आदतें
– धूम्रपान और शराब का सेवन बंद करें
– उच्च रक्तचाप और मधुमेह पर नियंत्रण रखें
महत्वपूर्ण बातें
– युवाओं में स्ट्रोक की दर बढ़ रही है।
स्ट्रोक के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
– स्ट्रोक से बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
– नियमित स्वास्थ्य जांच से स्ट्रोक की दर को कम किया जा सकता है।
स्ट्रोक मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है
विश्व स्ट्रोक दिवस से एक दिन पहले मंगलवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. राजेश वर्मा ने कहा कि रोकथाम के लिए सबसे शक्तिशाली उपाय रक्तचाप को नियंत्रित करना, तंबाकू से दूर रहना, स्वस्थ वजन बनाए रखना, नियमित व्यायाम करना और लक्षणों की पहचान करना और समय पर उपचार सुनिश्चित करना जीवन बचाया जा सकता है।
प्रस्तुत स्लाइड शो में डॉ. स्नेहांश ने स्ट्रोक के प्रारंभिक लक्षण एवं उपचार की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। जिसके बाद केजीएमयू में इलाज करा चुके मरीजों के प्रेरक वीडियो दिखाए गए। कार्यक्रम में डॉ. इमरान रिजवी, डॉ. राजर्षि चक्रवर्ती, डॉ. अनादि प्रकाश मिश्र, डॉ. अर्जुन, डॉ. तेजवीर सिंह, डॉ. नलिनी रस्तोगी, डॉ. डॉ. श्रावणिका और डॉ. सरितेश ने भी जानकारी साझा की।
स्ट्रोक एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है। नवीनतम वैश्विक आंकड़ों के अनुसार, स्ट्रोक मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण और मृत्यु और विकलांगता का तीसरा प्रमुख कारण है। साल 2021 में करीब 1.19 करोड़ नए मामले आए. जिसमें करीब 70 लाख मौतें दर्ज की गईं. इससे विश्व अर्थव्यवस्था पर हर साल लगभग 890 बिलियन अमेरिकी डॉलर का बोझ पड़ता है।



