कानपुर, अमृत विचार। सिविल लाइंस स्थित म्योर मिल की लीज 90 साल के लिए थी, जिसका नवीनीकरण नहीं हुआ, जिसके कारण म्योर मिल की जमीन राज्य सरकार को वापस कर दी गई और अब मिल की करीब 15 हेक्टेयर यानी 1.5 लाख वर्ग मीटर भूमि पर सरकारी परियोजनाओं का रास्ता साफ हो गया है.
शहर के सिविल लाइंस स्थित ऐतिहासिक म्योर मिल की विशाल जमीन अब फिर से राज्य सरकार के कब्जे में आ गयी है. जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह के अनुमोदन के बाद एडीएम वित्त एवं राजस्व (प्रभारी अधिकारी नजूल) के आदेश से इसे दोबारा दर्ज कर दिया गया है। लगभग 15 हेक्टेयर यानी 1.5 लाख वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाली इस भूमि को अब “अनावंटित सरकारी भूमि” घोषित कर दिया गया है और परिसर में पुनः प्रवेश का बोर्ड भी अंकित कर दिया गया है.
पहला पट्टा 1861 में दिया गया था
नजूल अभिलेखों के अनुसार यह भूमि सबसे पहले वर्ष 1861 में ‘द कानपुर म्योर मिल’ को पट्टे पर दी गई थी। इसके बाद 1930 के दशक में इसका जीर्णोद्धार किया गया। लगभग डेढ़ शताब्दी तक यह भूमि कपड़ा इकाइयों के लिए उपयोग में आती रही, लेकिन मिलों के बंद होने के बाद परिसर के कई हिस्से लंबे समय तक खाली रहे।



