जौनपुर। उत्तर प्रदेश के जौनपुर में पुत्र प्राप्ति, समृद्धि और मंगलकामना के महापर्व छठ के मौके पर सोमवार की शाम आदि गंगा गोमती के प्रतिमा विसर्जन घाट, हनुमान घाट, बजरंग घाट, गोपी घाट समेत विभिन्न घाटों पर डूबते सूर्य देव को अर्घ्य दिया गया. ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों व जलाशयों में भी सूर्य देव को अर्घ्य दिया गया. दोपहर से ही छठ व्रतियों व दर्शनार्थियों का आगमन शुरू हो गया था.
बड़ी संख्या में छठव्रती अपने पूरे परिवार और गाजे-बाजे के साथ घाटों पर पहुंचे और शाम को पूरे विधि-विधान के साथ सूर्य देव की पूजा की गई. जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र और पुलिस अधीक्षक डॉ. कौस्तुभ ने नाव पर बैठकर पूरे मेले की व्यवस्थाएं देखीं। छठव्रतियों ने डूबते सूर्य और छठमाता की पूजा की. इस दौरान आतिशबाजी और वाद्ययंत्रों से माहौल रंगीन बना रहा; घाटों पर काफी भीड़ देखी गयी.
बांस से बने सूप के कटोरे और टोकरियों में प्रसाद की सामग्री भरकर घाट पर ले जाया जाता है जहां सूर्य देव और छठी मैया को शाम का अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन भक्त न तो कुछ खाते हैं और न ही पानी पीते हैं। छठ के चौथे या अंतिम दिन सूर्योदय तक निर्जला व्रत जारी रहता है जब सूर्य देव और छठी मैया को उषा अर्घ्य दिया जाता है। छठ के आखिरी दिन अर्घ्य के बाद बांस की टोकरियों का प्रसाद सबसे पहले व्रती खाते हैं और फिर परिवार के सभी सदस्यों और व्रतियों के बीच वितरित किया जाता है।
छठ पूजा के चार दिवसीय त्योहार के तीसरे दिन, डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसे संध्या अर्घ्य या पहला अर्घ्य के रूप में जाना जाता है। छठ के तीसरे दिन से शुरू होने वाले इस महापर्व में छठ का प्रसाद बनाने की विशेष तैयारी की जाती है, जिसका बहुत महत्व है. व्रती और उनके परिवार के सदस्य दिन में जल्दी स्नान करते हैं और प्रसाद रखने के लिए नए बांस के सूप और टोकरियाँ खरीदते हैं।
सूप में चावल, गन्ना, ठेकुआ, पकवान, ताजे फल, सूखे मेवे, पेड़ा, मिठाई, गेहूं, गुड़, सूखे मेवे, नारियल, घी, मखाना, नींबू, सेब, संतरा, इलायची, हरी अदरक और विभिन्न प्रकार के सात्विक खाद्य पदार्थ रखे जाते हैं। लोगों की भीड़ देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब लोग अपने शहर में छठ मनाना ज्यादा पसंद करने लगे हैं.
गौरतलब है कि 28 अक्टूबर, मंगलवार को सुबह-सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. छठव्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सुबह से ही घाट पर पहुंचना शुरू कर देंगे. इसके बाद मंगलवार को फिर से घाटों पर लोगों की भीड़ उमड़ेगी. इस दौरान उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद 36 घंटे का कठिन व्रत तोड़ा जाएगा.
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