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कार्तिक पूर्णिमा 2025 तिथि: कार्तिक पूर्णिमा कब है? जानिए पूजा का समय, शुभ मुहूर्त और गंगा स्नान और दान के नियम।


कार्तिक पूर्णिमा 2025 तिथि: कार्तिक मास की पूर्णिमा या कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान और दान करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है। श्रद्धालु ब्रह्म, विजय और गोधूलि मुहूर्त को ध्यान में रखकर अनुष्ठान करते हैं।

प्रकाशित तिथि: सोम, 27 अक्टूबर 2025 03:32:12 अपराह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: सोम, 27 अक्टूबर 2025 03:32:12 अपराह्न (IST)

कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

पर प्रकाश डाला गया

  1. जानिए कार्तिक पूर्णिमा तिथि, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय।
  2. इस दिन पूजा-पाठ, गंगा स्नान और दान-पुण्य करना बहुत शुभ होता है।
  3. जानिए गंगा स्नान का समय और दान के नियम.

धर्म डेस्क: वैदिक शास्त्रों के अनुसार हर माह के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है और कार्तिक माह की पूर्णिमा (Kartik Purnima 2025 Date) का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा है। साथ ही इस दिन गंगा स्नान और दान का भी विशेष फल माना जाता है। आइए जानते हैं इस साल कार्तिक पूर्णिमा कब पड़ रही है और पूजा के लिए कौन से शुभ मुहूर्त हैं।

कार्तिक पूर्णिमा 2025 तिथि और शुभ समय

वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि इस साल 04 नवंबर को रात 10:36 बजे शुरू होगी और 5 नवंबर को शाम 06:48 बजे समाप्त होगी. इसलिए, कार्तिक पूर्णिमा का मुख्य त्योहार 05 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन की एक विस्तृत समय सारिणी भी महत्वपूर्ण है ताकि लोग पूजा और स्नान के शुभ समय का पालन कर सकें।

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सूर्योदय प्रातः 06:28 बजे तथा सूर्यास्त सायं 05:40 बजे होगा. चंद्रोदय का समय शाम 07:20 बजे है जबकि इस सूची में चंद्रास्त (चंद्रमा स्थापित होने) का उल्लेख नहीं है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:46 से 05:37 तक रहेगा. विजय मुहूर्त दोपहर 01:56 से 02:41 बजे तक है और गोधूलि मुहूर्त शाम 05:40 से 06:05 बजे तक रहेगा. भक्त इन मुहूर्तों को ध्यान में रखते हुए अपने अनुष्ठान कर सकते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि

सुबह जल्दी उठना, स्वच्छ स्नान करना और सूर्य देव को अर्घ्य देना पूजा का पहला चरण है। मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद चौकी पर साफ पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। फूल माला चढ़ाएं, दीपक जलाएं, आरती करें और आवश्यक मंत्रों का जाप करें। इस दिन विष्णु चालीसा का पाठ भी विशेष फलदायी माना जाता है। भोग में फल, मिठाई और अन्य प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।

धार्मिक मान्यता है कि गंगा स्नान के बाद अन्न और धन का दान करने से विशेष पुण्य मिलता है और आर्थिक लाभ के योग बनते हैं। इसलिए, कई भक्त नदियों के तट पर स्नान करते हैं और दान करते हैं।

माता लक्ष्मी की प्रसन्नता

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्री सूक्त और माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इन मंत्रों और जाप से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं। परंपराओं के अनुसार इस दिन मंदिरों या गरीबों को दान देने का विशेष महत्व है। ऐसा करने से व्यक्ति को जीवन में समृद्धि की कृपा और अभावों से मुक्ति मिलती है।

ये भी पढ़ें- देवउठनी एकादशी 2025 तिथि: 01 या 02 नवंबर, देवउठनी एकादशी किस तिथि को है? जानें शुभ मुहूर्त और पारण का समय

इसलिए 05 नवंबर 2025 को मनाई जाने वाली कार्तिक पूर्णिमा पर शास्त्रानुसार पूजा-पाठ, गंगा स्नान और दान को प्राथमिकता दें ताकि आपको धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टि से शुभ फल मिल सकें।

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