विद्या शर्मा/न्यूज़11 भारत
जादुई गुड़िया/डेस्क: घाटशिला विधानसभा उपचुनाव में इस बार दलित समुदाय की भूमिका काफी अहम मानी जा रही है. आंकड़ों के मुताबिक, इलाके में करीब 13 हजार दलित वोटर हैं, जो चुनावी समीकरण को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकते हैं. सूत्रों की मानें तो मुखी समाज विकास समिति के जिला उपाध्यक्ष और जिला बीस सूत्री सदस्य टिकी मुखी का घाटशिला, मुसाबनी, जादूगोड़ा और आसपास के इलाकों में दलित समुदाय पर गहरा प्रभाव माना जाता है. समाज के प्रभावशाली चेहरे के तौर पर टिकी मुखी न सिर्फ संगठनात्मक रूप से सक्रिय हैं, बल्कि आम लोगों और मजदूर वर्ग के बीच भी उनका गहरा प्रभाव है. चर्चा है कि दोनों प्रमुख प्रत्याशी टिकी मुखी और उनके समर्थक लगातार समाज को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रहे हैं. संपर्क अभियान, जनसंपर्क बैठकों और संवाद कार्यक्रमों के जरिए दलित समुदाय का वोट हासिल करने की कोशिशें चल रही हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर दलित वोट एक उम्मीदवार के पक्ष में एकजुट हो जाते हैं, तो इसका चुनाव परिणामों पर सीधा और निर्णायक प्रभाव पड़ सकता है। यहां आपको बता दें कि टिकी मुखी की पकड़ न सिर्फ सामाजिक स्तर पर बल्कि औद्योगिक क्षेत्र में भी मजबूत है. जादूगोड़ा स्थित यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में काम करने वाले हजारों अस्थायी मजदूरों के बीच भी उनका गहरा प्रभाव है.
उन्होंने श्रमिकों के अधिकारों और नियमितीकरण की मांग को लेकर कई बार आवाज उठाई है और श्रमिकों को उनका अधिकार दिलाने में सक्रिय भूमिका निभाई है।
स्थानीय विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार घाटशिला उपचुनाव न केवल उम्मीदवारों की लोकप्रियता बल्कि दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के सामूहिक मतदान व्यवहार की भी बड़ी परीक्षा होगी।
वहीं, आचार संहिता लागू होने के बाद सभी पार्टियों की गतिविधियां प्रशासन की कड़ी निगरानी में चल रही हैं, जिसके चलते प्रत्याशियों को नियमों के दायरे में रहकर ही प्रचार करना पड़ रहा है.
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