कानपुर, अमृत विचार। एक समय था जब लोगों को डाक विभाग पर इतना भरोसा था कि भेजी गई चिट्ठी तय समय में पहुंच जाती थी, लेकिन अब सब कुछ हवा-हवाई हो गया है। अगर आपने लेटर बॉक्स में कोई पत्र डाला है तो उसे भूल जाइए क्योंकि इसकी कोई गारंटी नहीं है कि वह गंतव्य तक पहुंचेगा या नहीं?
शहीद मेजर सलमान खान: अंतरराज्यीय झकरकटी बस अड्डे पर वर्षों पहले डाक विभाग की ओर से एक लेटर बॉक्स लगाया गया था, लेकिन यह डिब्बा कम ही खुलता है, क्योंकि आज तक बस अड्डे पर तैनात कर्मियों ने कभी किसी डाकिया को यह डिब्बा खोलकर डाक निकालते नहीं देखा है. यह तो एक उदाहरण है, शहर में न जाने कितने लेटर बॉक्स धूल फांक रहे हैं।
आपको बता दें कि डाक विभाग की ओर से कानपुर महानगर के अलग-अलग इलाकों में लेटर बॉक्स लगाए गए थे, ताकि कोई भी व्यक्ति अपना पत्र इन बॉक्स में डाल सके. इन बक्सों को दिन में दो बार खोला जाता था लेकिन अब ये बक्से कब खुलते हैं किसी को नहीं पता। अगर कोई गलती से भी इस बॉक्स में कोई पत्र डाल दे तो भूल जाएं। पहले बॉक्स पर यह भी लिखा होता था कि पत्र कितने बजे वापस लिये जायेंगे।
इसके चलते लोग जाने से पहले अपने पत्र लेटर बॉक्स में डाल देते थे, लेकिन अब लेटर बॉक्स बिल्कुल सफेद हाथी जैसा नजर आ रहा है। इन लेटर बॉक्स पर कोई स्कैनर नहीं लगा है. इस संबंध में बड़ा डाकघर के वरिष्ठ अधीक्षक एमके श्रीवास्तव का दावा है कि लेटर बॉक्स नियमित रूप से खोले जाते हैं, डाकियों को बार कोड दिया गया है, जिसे स्कैन भी किया जाता है।



