बोकारो प्रवासी श्रमिक की मौत, नागेश्वर, ललपनिया-(गोमिया): बोकारो के तिसरी गांव के प्रवासी मजदूर जगदीश यादव (42 वर्ष) की मुंबई में अचानक मौत हो गयी. उनके परिजन छठ पर्व की तैयारी में जुटे थे, लेकिन जैसे ही बेटे की मौत की खबर मिली, गांव में शोक की लहर दौड़ गयी. जिससे परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। जानकारी के अनुसार मृतक की पत्नी सुनीता देवी छठ का व्रत कर रही थी.
इलाज के दौरान मौत हो गई
जानकारी के मुताबिक, जगदीश यादव मुंबई के वर्ली में प्राइवेट ड्राइवर के तौर पर काम करता था. रविवार को वह मालिक को अपनी गाड़ी से एयरपोर्ट लेकर आया। लौटते समय अचानक उनके सीने में दर्द हुआ और उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
यह भी पढ़ें: गोमो में वंदे भारत एक्सप्रेस पर पथराव, बाल-बाल बचे यात्री, रेलवे ने शुरू की जांच
मंत्री योगेन्द्र प्रसाद ने मदद का आश्वासन दिया
घटना की जानकारी तिसरी गांव के सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश रविदास को हुई. वह मुंबई में फिल्म उद्योग से जुड़े हुए हैं। उन्होंने इसकी जानकारी झारखंड के पेयजल स्वच्छता एवं मद्य निषेध मंत्री योगेन्द्र प्रसाद को दी. जिसके बाद मंत्री ने शव को मुंबई से लाने के लिए श्रम विभाग से 50 हजार रुपये दिलाने का आश्वासन दिया.
स्थानीय पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया
गोमिया प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी महादेव कुमार महतो एवं सीओ आफताब आलम ने परिवार को विधवा पेंशन एवं अन्य सरकारी लाभ दिलाने की बात कही. जगदीश के परिवार में दो बेटियां और एक बेटा है। मुकेश रविदास ने बताया कि मृतक का शव मुंबई से फ्लाइट से तिसरी गांव भेजा जा रहा है और सोमवार की सुबह रांची एयरपोर्ट पहुंचने के बाद गोमिया लाया जाएगा. वाहन मालिक ने भी मृतक के परिवार को मदद का आश्वासन दिया. समाचार लिखे जाने तक उन्होंने 72 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी है।
इन लोगों ने भी सहयोग किया
शव को मुंबई से भेजने में योगेन्द्र यादव, बालगोविंद यादव, जागेश्वर यादव, महेंद्र यादव, नरेश यादव, नारायण यादव व मेघलाल यादव ने सहयोग किया. मुंबई जिला सहयोग जीवन फाउंडेशन के केंद्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र दास ने भी बोकारो के एक प्रवासी मजदूर की मौत पर दुख व्यक्त किया और शव भेजने के लिए मुकेश रविदास की पहल की सराहना की.
यह भी पढ़ें: हज़ारीबाग़ के बड़कागांव में कैसे शुरू हुई छठ पूजा मनाने की परंपरा? इस राजा की शुरुआत 1680 में हुई थी



