लोकजनता. जयसिंहपुर तहसील क्षेत्र के बिरसिंहपुर स्थित 100 बेड के संयुक्त चिकित्सालय की खराब हालत और स्वास्थ्य सेवाओं की अव्यवस्था को लेकर आम आदमी पार्टी ने धरना दिया है। आप के मुख्य प्रवक्ता वंशराज दुबे के नेतृत्व में तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन के दूसरे दिन जब माहौल तनावपूर्ण हो गया, तो अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने स्थानीय पुलिस बल के साथ विरोध स्थल पर जाने से रोकने की कोशिश की।
इसी बीच सीएमएस और आप कार्यकर्ताओं के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। आप पदाधिकारियों ने सीएमएस को अपने कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए कहा कि आज धरने का दूसरा दिन है. कल हम ज्ञापन सौंपेंगे. साथ ही सीएमओ और सीएमएस अर्थी निकालकर बिरसिंहपुर बाजार में भ्रमण करेंगे। तब सीएमएस राजकमल चौरसिया ने कहा कि सरकार और योगी की अर्थी निकालो, सीएमओ और सीएमएस की अर्थी निकालोगे तो क्या होगा। सीएमएस के इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
कार्यकर्ताओं का आरोप है कि प्रशासन आंदोलन को दबाने का प्रयास कर रहा है। मुख्य प्रवक्ता वंशराज दुबे ने बताया कि अस्पताल में 13 डॉक्टर तैनात हैं, लेकिन तीन ही दिखते हैं। दवाओं की कमी देखी जा रही है. डॉक्टर बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। एक्स-रे मशीन नहीं है, सप्ताह में एक बार अल्ट्रासाउंड होता है और वह भी चेहरा देखने के बाद. जब प्रवक्ता ने कहा कि हम सीएमओ से बात करेंगे तो सीएमएस ने कहा कि इस अस्पताल की जिम्मेदारी हमारी है, आपको जो कहना है बता दीजिए, हम कुछ नहीं कर पाएंगे।
डॉक्टरों और चिकित्सा उपकरणों की भारी कमी है, फिर भी प्रशासन जनता की आवाज को रोकने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने इसे तानाशाही रवैया बताया और कहा कि जनस्वास्थ्य की अनदेखी शर्मनाक है. आम आदमी पार्टी ने अपनी पांच सूत्री मांगों को दोहराते हुए कहा कि अनुपस्थित डॉक्टरों पर कार्रवाई हो, दवा व उपकरण की उपलब्धता, अस्पताल की साफ-सफाई, बाहर की दवा लिखने पर रोक, आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को समय पर वेतन का भुगतान हो.
27 करोड़ रुपये की लागत से बना यह अस्पताल आज खुद वेंटिलेटर पर है, जबकि सरकार जन स्वास्थ्य के बजाय दिखावे और दबाव की राजनीति कर रही है. विरोध प्रदर्शन में जिलाध्यक्ष सुरेश चंद्र, ब्रिजेश सिंह, धर्मराज सिंह, दिलीप यादव, जितेंद्र तिवारी, भाष्कर देव, कुलदीप यादव, रौनक सिंह, फहीम, रमाशंकर, डीके जयसवाल समेत दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद रहे।
इस संबंध में सीएमओ डॉ. भारत भूषण ने कहा कि अधिकारी को गैरजिम्मेदाराना व्यवहार शोभा नहीं देता और उन्होंने उनसे अपने शब्द वापस लेने और उनका ज्ञापन लेकर समस्याओं का समाधान कराने को कहा है।
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