धनबाद.
नहाय खाय के साथ सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ शनिवार से शुरू हो गया। पहले दिन व्रतियों ने स्नान कर भक्ति भाव से भगवान भास्कर की पूजा की और पर्व को निर्विघ्न संपन्न कराने का संकल्प लिया. इसके बाद नियमानुसार कद्दू की सब्जी, चने की दाल और अरवा चावल का चावल बनाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. व्रत का प्रसाद ग्रहण करने के बाद परिवार के सदस्यों व अन्य लोगों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया. इधर व्रतियों के घर में बज रहे छठ गीतों से माहौल भक्तिमय हो गया है। हर कोई छठी मैया के काम में लग गया है. इसमें परिवार के लोगों के साथ-साथ मोहल्ले के लोग भी सहयोग कर रहे हैं। कई जगहों पर घरों की छतों पर आस्था के घाट सजाए जा रहे हैं. कई परिवारों में महिलाओं के साथ पुरुष भी व्रत रख रहे हैं.
खरना के साथ ही 36 घंटे का व्रत शुरू हो जाएगा
महापर्व के दूसरे दिन रविवार को खरना किया जाना है. इसे लोहंडा भी कहा जाता है. इस दिन व्रती सुबह से निर्जला व्रत रखेंगी, शाम होने से पहले स्नान करेंगी और पूरी श्रद्धा के साथ खीर, रसिया, रोटी, पूड़ी, पीठा बनाकर छठी मैया को भोग लगाएंगी. इसके बाद वह खरना करेंगी. व्रत समाप्त होने के बाद प्रसाद वितरित किया जाएगा। खरना के साथ ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा.
27 अक्टूबर को संध्या अर्घ
सोमवार की सुबह से ही परवैतीनों के घरों में सूप पर परोसने के लिए ठेकुआ और कचवनिया तैयार हो जायेंगे. दोपहर से पहले घाट पर जाने के लिए सूप दउरा का आयोजन किया जायेगा. सोमवार को अस्ताचलगामी भास्कर देव को अर्घ दिया जायेगा.
28 को उदयमान भास्कर को अर्घ देंगे
पर्व के अंतिम दिन मंगलवार को भोर से पहले ही श्रद्धालु व श्रद्धालु घाट की ओर निकल जायेंगे. घाट पर पहुंचने के बाद परवैतिन हाथ जोड़कर पानी में प्रवेश करेंगी और सूर्य देव से दर्शन की प्रार्थना करेंगी। जैसे ही लाली कम होगी परवैतिन पानी में डुबकी लगाएगी और सूप पिएगी. इसके बाद श्रद्धालु अर्घ देंगे. हवन कर घाट का पूजन किया जाएगा। इसके बाद परवैतीन शर्बत पीकर निर्जला व्रत तोड़ेंगी. पारण के साथ चार दिवसीय महोत्सव का समापन होगा.
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