रिलायंस फेसबुक एआई जेवी: भारत की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज और सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक (मेटा) अब मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठा रहे हैं। दोनों कंपनियों ने मिलकर एक नया ज्वाइंट वेंचर (JV) बनाया है, जिसका नाम रिलायंस एंटरप्राइज इंटेलिजेंस लिमिटेड (REIL) है। दोनों ने मिलकर इस नई कंपनी में 855 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसका उद्देश्य एआई की मदद से भारत के बिजनेस सेक्टर में बदलाव लाना है।
नया AI संयुक्त उद्यम: REIL का क्या काम है?
रिलायंस की नई एआई इकाई – रिलायंस इंटेलिजेंस लिमिटेड, इस संयुक्त उद्यम में 70% हिस्सेदारी रखेगी, जबकि फेसबुक ओवरसीज इंक (मेटा की सहायक कंपनी) के पास 30% शेयर होंगे। REIL का मुख्य उद्देश्य भारतीय व्यवसायों में AI सेवाओं का विकास, विपणन और कार्यान्वयन करना है।
इस संयुक्त उद्यम का फोकस होगा:
- एक सेवा के रूप में एंटरप्राइज़ एआई प्लेटफ़ॉर्म बनाना
- पूर्व-कॉन्फ़िगर AI समाधान बनाना, जैसे-
- बिक्री स्वचालन
- ग्राहक सहेयता
- आईटी संचालन
- वित्त और विपणन उपकरण
सीधे शब्दों में कहें तो यह साझेदारी भारत के बिजनेस को AI पावर्ड बनाने की दिशा में काम करेगी।
रिलायंस और मेटा की ताकतें एक साथ आएंगी
यह संयुक्त उद्यम इसलिए खास है क्योंकि यह दोनों कंपनियों की सर्वोत्तम खूबियों को एक साथ लाता है।
मेटा (फेसबुक) अपने ओपन-सोर्स लामा एआई मॉडल पर तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करेगा
रिलायंस पूरे भारत में अपने डिजिटल बुनियादी ढांचे और लाखों उद्यम नेटवर्क का लाभ उठाएगा
वे मिलकर एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म बनाएंगे जो किसी भी सिस्टम पर चल सकता है, चाहे वह क्लाउड हो, ऑन-प्रिमाइसेस हो या हाइब्रिड वातावरण हो।
इससे कंपनियों के लिए एआई अपनाने की लागत काफी कम हो जाएगी।
भारत के AI सेक्टर में बड़ा गेमचेंजर
रिलायंस और मेटा का यह संयुक्त उद्यम भारत की AI इंडस्ट्री में गेम चेंजर साबित हो सकता है। पहली बार कोई भारतीय कंपनी किसी वैश्विक तकनीकी दिग्गज के साथ मिलकर इस स्तर की एआई प्लेटफॉर्म सेवा बनाने जा रही है। इस संयुक्त उद्यम की खासियत यह है कि यह न केवल बड़े व्यवसायों के लिए बल्कि छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (एसएमई) के लिए भी एआई को आसान बना देगा। इससे भारत में डिजिटल परिवर्तन की गति और तेज हो जाएगी।
निवेश और संरचना के बारे में पूरी जानकारी
रिलायंस ने कहा कि यह संयुक्त उद्यम किसी संबंधित पार्टी लेनदेन के अंतर्गत नहीं आता है, यानी कंपनी के प्रमोटर या समूह की कंपनियों का इसमें कोई अलग हित नहीं है। REIL की स्थापना के लिए किसी सरकारी मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी। रिलायंस की AI इकाई ने शुरुआत में ₹2 करोड़ का निवेश किया है और 20 मिलियन इक्विटी शेयर (₹10 प्रति शेयर) सब्सक्राइब किए हैं। यह कदम भारत में रिलायंस के बढ़ते एआई दृष्टिकोण को और मजबूत करेगा।
भारत में बनेगा नया एआई पावरहाउस
मुकेश अंबानी और मार्क जुकरबर्ग के बीच यह साझेदारी भारत में एंटरप्राइज एआई का भविष्य तय करेगी। जहां मेटा अपने लामा मॉडल के माध्यम से प्रौद्योगिकी लाएगा, वहीं रिलायंस इसे अपने विशाल नेटवर्क के माध्यम से भारत के हर व्यवसाय तक ले जाएगा। कुल मिलाकर यह संयुक्त उद्यम भारत को एआई-सक्षम अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से ले जाने वाला साबित हो सकता है।
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