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Saturday, October 25, 2025
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चौंकाने वाला: विकास की दौड़ में पिछड़ गया पूर्वी यूपी, लखनऊ विश्वविद्यालय के अध्ययन में खुलासा

लखनऊ, अमृत विचार: देश के कई हिस्से विकास के क्षेत्रीय असंतुलन से प्रभावित हैं। बुनियादी ढांचे का असमान वितरण इसका सबसे बड़ा कारण रहा है. इसे दूर करने के वादे और इरादे के साथ कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन हालात नहीं बदल रहे हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला है कि उत्तर प्रदेश का पूर्वी भाग अभी भी मध्य उत्तर प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तुलना में काफी पिछड़ा हुआ है। यूनिवर्सिटी के डॉ. नागेंद्र कुमार मौर्य और प्रो. रोली मिश्रा ने अपने शोध में यह दावा किया है।

विश्वविद्यालय के दोनों शोधकर्ताओं ने आय, शिक्षा, कृषि, रोजगार, बुनियादी ढांचे जैसे 19 सामाजिक और आर्थिक संकेतकों के आधार पर 28 जिलों का समग्र विकास सूचकांक तैयार किया है। इंडियन जर्नल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड डेवलपमेंट में प्रकाशित एक हालिया शोध से पता चला है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिले, बहराईच, बलरामपुर, श्रावस्ती और सिद्धार्थनगर आज भी राज्य के सबसे पिछड़े जिलों में गिने जाते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि बेहतर सड़कें, स्कूल, अस्पताल और बिजली तक पहुंच जीवन स्तर को ऊपर उठाने की कुंजी है।

व्रोकला वर्गीकरण पद्धति का प्रयोग किया गया

अध्ययन ने व्रोकला टैक्सोनोमिक पद्धति का उपयोग करके प्रत्येक जिले को एक विकास स्कोर सौंपा। शोध में यह भी जांचा गया कि कौन से क्षेत्र समग्र विकास में सबसे अधिक योगदान देते हैं। शोध में पाया गया कि औद्योगिक विकास का प्रभाव न्यूनतम है, क्योंकि क्षेत्र में निवेश और कारखानों की भारी कमी है।

शोध अध्ययन की मुख्य बातें

-श्रावस्ती, बलरामपुर और बहराईच अति पिछड़े जिले पाए गए।

-सिद्धार्थनगर का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहा।

-सभी जिलों में ढांचागत विकास और औद्योगिक विकास बेहद कमजोर है.

-कृषि और रोजगार का स्कोर सबसे कम है।

-ग्रामीण अर्थव्यवस्था पूरी तरह से मानसून पर निर्भर है.

क्या निदान है

शोध का गंभीर निष्कर्ष यह है कि क्षेत्र को “कम-संतुलन जाल” से बाहर निकालने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योग में बड़े सार्वजनिक निवेश की तत्काल आवश्यकता है। “एक जिला एक उद्योग” जैसी योजनाओं का विस्तार किया जाना चाहिए, ताकि हर जिला उत्पादक क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल कर सके, रोजगार बढ़ सके और निवेश आकर्षित हो सके। बुनियादी ढांचे, कृषि और उद्योग में एकीकृत और संतुलित विकास ही पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़ेपन को दूर करने का एकमात्र तरीका है।

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