छठ पूजा: बिहार में शनिवार से नहाय-खाय के साथ छठ पर्व शुरू हो गया. यह दिन सिर्फ उपवास का दिन नहीं बल्कि पूरे बिहार की संस्कृति और परंपरा का उत्सव भी है। राजधानी पटना समेत सभी जिलों में बाजारों में भारी भीड़ देखी गयी. नहाय-खाय के लिए जरूरी कद्दू, तेल और गन्ना के दाम आसमान छूने लगे, जबकि अगस्त का फूल एक हजार रुपये प्रति किलो तक बिका. इस बार छठ से करीब 500 करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद है.
नहाय-खाय के साथ बाजार की रौनक बढ़ गयी
शनिवार को नहाय-खाय के साथ ही बिहार के घरों में छठ का माहौल पूरी तरह से छा गया. सुबह से ही लोगों ने कद्दू, तेल और मिश्री की खरीदारी शुरू कर दी। पटना की बाजार समिति, कदमकुआं, राजेंद्रनगर, बोरिंग रोड और कंकड़बाग की सब्जी मंडियों में भीड़ इतनी थी कि सब्जी बेचने वालों के पास जगह तक नहीं बची.
आम दिनों में 25-30 रुपये प्रति किलो बिकने वाला कद्दू अब 50 से 70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है. ओल की कीमत 80 से 90 रुपये प्रति किलो थी, जबकि सुथनी 120 से 130 रुपये प्रति किलो बिकी. श्रद्धालुओं का कहना है कि नहाय-खाय में कद्दू, जैतून तेल और सुथिनी ये तीन फल धार्मिक महत्व रखते हैं. यही कारण है कि इनके बिना छठ की शुरुआत अधूरी मानी जाती है.
सब्जियों से लेकर फूलों तक की धूम
छठ के मौसम में सिर्फ कद्दू ही नहीं बल्कि लगभग हर सब्जी की कीमत बढ़ गयी है. पटना में हरी मटर 250 से 300 रुपये प्रति किलो, फूलगोभी 70 रुपये प्रति किलो, भिंडी 60 रुपये प्रति किलो, परवल 50 से 60 रुपये प्रति किलो और बैंगन 70 रुपये प्रति किलो बिका.
सबसे चौंकाने वाली कीमत अगस्त के फूलों की रही, जो शुक्रवार को 1000 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई. पूजा सामग्री बेचने वाले दुकानदारों के अनुसार, इस फूल का उपयोग विशेष रूप से छठ घाटों की सजावट और पूजा में किया जाता है, इसलिए हर साल इसकी मांग अचानक बढ़ जाती है।
मिट्टी के चूल्हे की बढ़ी मांग
छठ पूजा की सबसे महत्वपूर्ण तैयारी होती है मिट्टी का चूल्हा. इस बार पटना शहर में ज्यादातर श्रद्धालुओं ने रेडीमेड चूल्हे खरीदे हैं, जबकि कुछ लोगों ने घर पर ही काली मिट्टी मंगवाकर पारंपरिक तरीके से खुद ही चूल्हे बनाए हैं. ग्रामीण इलाकों से आने वाली काली मिट्टी की मांग इतनी बढ़ गई कि कई जगहों पर इसकी कमी महसूस होने लगी। दो चूल्हे की परंपरा को निभाते हुए व्रती परिवार अपनी आस्था को मेहनत के साथ जोड़ते नजर आये.
फलों की खुशबू से सजा पटना
इस बार छठ की रौनक पटना के फल बाजारों में दिख रही है. पटना फ्रूट एंड वेजिटेबल एसोसिएशन के अध्यक्ष शशिकांत प्रसाद ने बताया कि इस बार कश्मीर और हिमाचल से सेब, नागपुर से संतरा, पंजाब से नाशपाती, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से केला आया है, जबकि हाजीपुर से भी बड़ी खेप आयी है.
सेब 80 से 120 रुपये प्रति किलो, संतरा 40 से 60 रुपये, नाशपाती 100 से 120 रुपये प्रति किलो, अनार 110 से 220 रुपये प्रति किलो, जबकि पानी वाला नारियल 45-50 रुपये प्रति पीस बिका. केला 450 से 700 रुपए प्रति लॉट तक पहुंच गया।
अकेले फलों की बिक्री से करीब 100 से 150 करोड़ रुपये का कारोबार होने की उम्मीद है.
वस्त्र, पूजन सामग्री और साज-सज्जा में उत्साह
छठ के मौके पर न सिर्फ फलों और सब्जियों की खरीदारी बल्कि कपड़े, पूजा सामग्री और सजावट की दुकानों पर भी भीड़ उमड़ रही है. व्रत करने वालों के परिवार नए कपड़े, साड़ी, थाली, सूप, दलिया और प्रसाद की टोकरी जैसी चीजें खरीद रहे हैं। बोरिंग रोड, कदमकुआं और कंकड़बाग इलाके के बाजारों की रौनक दिवाली के बाद भी बरकरार है.
बिहार के हर घर में नहाय-खाय का स्वाद सिर्फ भोजन नहीं बल्कि भावनाओं से जुड़ा है. जैतून के तेल की गंध, गन्ने की मिठास और कद्दू की सादगी – ये सभी मिलकर पवित्र शुरुआत का हिस्सा बनते हैं जो छठ व्रतियों की तपस्या और भक्ति को दर्शाता है।
इस बार जहां पटना में सब्जियों के दाम बढ़े हुए हैं, वहीं आस्था का पारा और भी चढ़ा हुआ है. हर गली में मिट्टी की सोंधी खुशबू, पूजा की तैयारी और भक्ति का संगम नजर आ रहा है. छठ सिर्फ एक त्योहार नहीं है, यह बिहार की सामूहिक चेतना और सांस्कृतिक एकता का सबसे उज्ज्वल प्रतीक है।
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