पटना. फिलहाल, महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों की घोषणा के बाद बिहार की राजनीति में नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद मिला और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया गया अब उम्मीदवार बनाये जाने के बाद मुस्लिम समुदाय में असंतोष ये दिखने लगा है.
मुस्लिम समुदाय में नाराजगी
कई मुस्लिम नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया का सहारा लिया महागठबंधन के फैसले की आलोचना के बारे में है। वह ऐसा कहते हैं 18% मुस्लिम आबादी वाले राज्य शीर्ष पद पर किसी मुस्लिम चेहरे को मौका नहीं दिया गया. मुस्लिम बुद्धिजीवियों का कहना है कि अगर जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया तो यह “वोट बैंक की राजनीति” का हिस्सा साबित होगा.
चिराग पासवान ने याद दिलाया पिता का फैसला
इस दौरान एलजेपी (रामविलास) के प्रमुख एवं केन्द्रीय मंत्री चिराग पासवान इस मुद्दे पर दिया बड़ा बयान.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया मेटा पर लिखा-
“2005 में, मेरे नेता, मेरे पिता स्वर्गीय राम विलास पासवान जी ने एक मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने के लिए अपनी पार्टी का बलिदान भी दे दिया था – तब भी आपने उनका समर्थन नहीं किया था।
राजद 2005 में भी मुस्लिम मुख्यमंत्री देने को तैयार नहीं थी और आज 2025 में भी मुस्लिम मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री देने को तैयार नहीं है!
अगर आप बंधुआ वोट बैंक बने रहेंगे तो आपको सम्मान और भागीदारी कैसे मिलेगी?”
‘भारत गठबंधन सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रहा है’
पटना में पत्रकारों से बात करते हुए चिराग पासवान ने कहा-
“भारत गठबंधन यादवों और सहनी समुदाय के नाम पर राजनीति कर रहा है, लेकिन मुसलमानों के बारे में केवल वोट के समय बात करता है।
बिहार में मुसलमानों की आबादी लगभग 18 प्रतिशत है, फिर भी उन्हें न मुख्यमंत्री, न उपमुख्यमंत्री और न ही किसी बड़े पद पर जगह दी गयी है.’
वह आगे कहते हैं –
“तेजस्वी यादव यादव समुदाय से हैं, जो आबादी का लगभग 13 प्रतिशत है, जबकि मुकेश सहनी सहनी समुदाय से हैं, जो आबादी का लगभग 2 प्रतिशत है।
इसके बावजूद 18 फीसदी मुस्लिम आबादी को सत्ता में भागीदारी नहीं दी गई.
ये लोग केवल मुसलमानों को डराकर और भावनात्मक मुद्दों पर भड़काकर वोट लेना जानते हैं, वास्तविक प्रतिनिधित्व देने का उनका कभी कोई इरादा नहीं था।”
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि बिहार की राजनीति में मुस्लिम मतदाता हैं निर्णायक भूमिका आइए पूरा करें. महागठबंधन के इस फैसले से एक बड़ा वर्ग आहत है असंतुष्ट जानकारों के मुताबिक यह संभव है कि अगर यह असंतोष बढ़ता गया तो चुनावी समीकरण प्रभावित हो सकते हैं और विपक्षी दल इसे भुनाने की कोशिश कर सकते हैं.

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