सिंगरौली. मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए किसानों के पंजीयन में बड़ा घोटाला उजागर हुआ है. खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग के ऑनलाइन सिस्टम में सेंध लगाकर एक ही बैंक खाते को लगातार दो साल तक अलग-अलग नाम से दर्ज करने का मामला सामने आया है। पूर्व में इसी तरह के आरोप में निलंबित हो चुके एक कंप्यूटर ऑपरेटर का नाम भी इस फर्जीवाड़े से जोड़ा जा रहा है।
मामले का खुलासा कटौली पंचायत की पूजा साह के निबंधन से हुआ, जिनका निवास स्थान मानिकचौरी दर्ज है, लेकिन निबंधन झारा सेवा सहकारी समिति से कराया गया है. दस्तावेज बताते हैं कि यह गड़बड़ी सिर्फ एक किसान तक सीमित नहीं है, बल्कि संगठित तरीके से चल रही है।
अकाउंट एक, साल दो और नाम अलग-अलग
फर्जीवाड़े का सबसे बड़ा सबूत पूजा शाह के नाम पर हुए रजिस्ट्रेशन में मिला है. उनके पिता/पति का नाम वर्ष 2024-25 के लिए श्याम सुंदर दर्ज किया गया था। वहीं, अगले वर्ष 2025-26 के लिए उसी बैंक खाता संख्या (395102010733377) पर पिता/पति का नाम बदलकर विपिन बिहारी शर्मा कर दिया गया। दोनों वर्षों में बैंक शाखा और IFSC कोड (UBIN0539511) समान रहे।
इतना ही नहीं, 2024-25 में पूजा शाह को सेवा सहकारी समिति लिमिटेड, परसौना के रूप में पंजीकृत किया गया था, जबकि 2025-26 में इसे बदलकर सेवा सहकारी समिति लिमिटेड, झारा कर दिया गया। यह उन नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है, जिसके तहत एक किसान का बार-बार अलग-अलग समितियों में पंजीकरण नहीं कराया जा सकता।
जांच के बाद भी आरोपी संचालक लौट जाता है
इस मामले के तार परसौना अधिप्राप्ति केंद्र के कंप्यूटर ऑपरेटर परमानंद साह से जुड़ रहे हैं, जिन पर पहले भी फर्जी रजिस्ट्रेशन का गंभीर आरोप लग चुका है. वर्ष 2020 में पूर्व कलेक्टर राजीव रंजन मीना ने आरोपों की जांच तहसीलदार जानवी शुक्ला को सौंपी थी। जांच में परमानंद साह को दोषी पाया गया, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया और केंद्र बंद करने का आदेश दिया गया.
लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि कुछ माह बाद ही सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने उसी निलंबित संचालक को फिर से परसौना समिति में नियुक्त कर दिया. इसके बाद 2024-25 में परसौना केंद्र पर सैकड़ों फर्जी रजिस्ट्रेशन हुए, जिसमें व्यापारियों के नाम पर बड़ी मात्रा में धान का रजिस्ट्रेशन करने का आरोप है.
विभागीय चुप्पी और किसानों की मांगें
स्थानीय किसानों के मुताबिक तत्कालीन कलेक्टर चन्द्रशेखर शुक्ला ने इस मामले में जांच के आदेश भी दिये थे, लेकिन इसकी रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गयी है. इस पूरे प्रकरण पर सहकारिता विभाग के अधिकारियों का रवैया भी सवालों के घेरे में है.
अगर किसान शिकायत करेंगे तो कार्रवाई की जाएगी। -उपायुक्त, सहकारिता विभाग
अधिकारी के इस बयान पर सवाल उठ रहे हैं कि जब जांच के आदेश पहले से ही हैं तो विभाग ने एक साल तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की. क्षेत्र के किसानों ने अब सरकार से मांग की है कि झारा, परसौना, गहिलरा और आसपास के सभी सहकारी समितियों का ऑडिट कराया जाए. किसानों का आरोप है कि इस गड़बड़ी के कारण व्यापारी किसानों का हक छीन रहे हैं और समर्थन मूल्य योजना का लाभ वास्तविक किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा है.
सिंगरौली से राघवेंद्र सिंह की रिपोर्ट



