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Saturday, October 25, 2025
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बिहार गोल्ड रिजर्व: यूपी या कर्नाटक नहीं, बिहार बना ‘गोल्ड किंग’, जमुई की मिट्टी में छिपा है 222.8 मिलियन टन सोना


बिहार गोल्ड रिजर्व: भारत में सोना सिर्फ आभूषण या निवेश नहीं, बल्कि भावनाओं का खजाना है। लेकिन अब ये चमक सिर्फ गर्दन और बाजुओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि धरती के नीचे भी छुपी हैं सुनहरी कहानियां।
नए आंकड़ों के मुताबिक भारत का सबसे बड़ा सोने का भंडार बिहार के जमुई जिले में मिला है। करीब 222.8 मिलियन टन सोने के भंडार के साथ बिहार ने कर्नाटक और राजस्थान जैसे सोना समृद्ध राज्यों को पीछे छोड़ दिया है।

सोना भारतीय अर्थव्यवस्था की धड़कन है। यह सिर्फ आभूषण या निवेश नहीं, बल्कि भरोसे की मुद्रा है। भारतीय रिजर्व बैंक के विदेशी भंडार में डॉलर और यूरो की मात्रा में सोने की चमक बराबर भूमिका निभाती है।
हाल ही में जारी भूवैज्ञानिक आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल स्वर्ण अयस्क भंडार 120 मिलियन टन से अधिक है, जो लगभग 759 टन प्राथमिक सोना प्रदान कर सकता है। लेकिन दिलचस्प तथ्य यह है कि इस स्वर्ण संपदा का सबसे बड़ा हिस्सा उस राज्य में है जो आज तक खनन के मामले में पिछड़ा माना जाता था- बिहार.

जमुई का खजाना, बिहार की उम्मीद

अकेले बिहार के जमुई जिले में भारत के कुल सोने के संसाधनों का 44 प्रतिशत हिस्सा है। यह आंकड़ा लगभग 222.8 मिलियन टन सोने के अयस्क के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह महज एक जमीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि भविष्य की आर्थिक ताकत का आधार हो सकता है।
अब तक बिहार में औद्योगिक निवेश और खनिज दोहन सीमित रहा है, लेकिन अगर इस खोज को व्यावहारिक तौर पर खनन में बदल दिया जाए तो राज्य न सिर्फ आत्मनिर्भर बन सकता है, बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का केंद्र भी बन सकता है।

गोल्ड की दौड़ में बिहार सबसे आगे

अब तक भारत में जब भी सोने की बात होती थी तो सबसे पहला नाम कर्नाटक का आता था- कोलार और हुत्ती सोने की खदानों के लिए मशहूर राज्य. लेकिन अब ये कहानी बदल गई है. जमुई की मिट्टी के नीचे दबे सोने की मात्रा देश के कुल सोने के अयस्क का लगभग 44 प्रतिशत है। जियोलॉजिकल सर्वे (जीएसआई) की रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां का ‘सोने का क्षेत्र’ इतना विशाल है कि अगर खनन शुरू हो जाए तो बिहार देश में सोना उत्पादन का केंद्र बन सकता है।

निवेश की नई रोशनी

नीति आयोग और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) पहले ही बिहार और राजस्थान की स्वर्ण बेल्ट में एक विस्तृत सर्वेक्षण की सिफारिश कर चुके हैं। विदेशी कंपनियाँ-विशेषकर कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की खनन एजेंसियाँ-भारतीय बाज़ार में रुचि दिखा रही हैं।
अगर यह प्रोजेक्ट बिहार में आगे बढ़ता है तो इससे न सिर्फ राज्य बल्कि भारत की आर्थिक ताकत भी मजबूत होगी. अब तक कृषि प्रधान राज्य माना जाने वाला बिहार अब “खनिज अर्थव्यवस्था” की दिशा में पहला बड़ा कदम उठा सकता है।
भारत में सोना सिर्फ संपत्ति नहीं बल्कि परंपरा का हिस्सा है। हर परिवार में उससे जुड़ी कहानियां लेकर पीढ़ियां आगे बढ़ती हैं। यही कारण है कि जब किसी राज्य की धरती से सोने की खबर आती है, तो यह न केवल आर्थिक बल्कि सांस्कृतिक उत्सव भी बन जाता है।

यह भी पढ़ें: बिहार प्रथम विधानसभा चुनाव 1951: भारत के पहले चुनाव आयुक्त ने क्यों कहा था- लोकतंत्र में पहचान छुप नहीं सकती

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