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Friday, October 24, 2025
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सोना: 1962 के चीन युद्ध में भारतीय महिलाओं ने ट्रक भर सोना दिया था, आनंद महिंद्रा ने एक्स पर किया इमोशनल पोस्ट


सोना: सोना भारतीय महिलाओं की सबसे पसंदीदा चीज या सबसे बड़ी कमजोरी है। इसके लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं. लेकिन, जब बात देश की आन-बान-शान की आती है तो भारत की महिलाएं वीरांगना बनकर आगे बढ़ती हैं और दुश्मनों को परास्त करने के लिए पुरजोर कोशिश करती हैं। वर्ष 1962 में भारत का चीन के साथ युद्ध चल रहा था और सरकार के पास पैसों की कमी थी। तब उन्होंने देश की महिलाओं से सोना और आभूषण दान करने की अपील की थी. सरकार की इस अपील का नतीजा यह हुआ कि सरकार की एक अपील पर देश की महिलाओं ने ट्रक भर कर सोने और चांदी के आभूषण देश को दान किये। ये बातें हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि ऑटोमोबाइल सेक्टर के दिग्गज उद्योगपति और महिंद्रा एंड महिंद्रा के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पुराने ट्विटर) पर एक पोस्ट के जरिए ये बात कही है।

आनंद महिंद्रा ने एक्स पर क्यों किया पोस्ट?

अब सवाल यह उठता है कि देश के दिग्गज उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान भारतीय महिलाओं द्वारा सोने और चांदी के आभूषण दान करने के मुद्दे पर बिना किसी चर्चा के फेसबुक पर पोस्ट क्यों किया? इसका जवाब ये है कि वर्ल्ड अपडेट के हैंडल से एक्स पर एक पोस्ट किया गया है. इसमें कहा गया है, ‘अकेले भारत की महिलाओं के पास दुनिया के 10 देशों से ज्यादा सोना है।’ सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले आनंद महिंद्रा ने एक्स पर अपने बचपन को याद करते हुए 1962 के युद्ध को लेकर भावुक बातें कही हैं.

आनंद महिंद्रा ने एक्स पर क्या लिखा?

आनंद महिंद्रा ने अपनी एक्स की पोस्ट में लिखा है, ‘शानदार आंकड़ा. इससे मुझे अपने बचपन की स्पष्ट याद ताजा हो गई। 1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान सरकार ने एक राष्ट्रीय रक्षा कोष बनाया और लोगों से रक्षा के लिए सोना और आभूषण दान करने की अपील की। नेट पर उपलब्ध जानकारी से मैंने देखा कि फंड के लिए आज की कीमत पर हजारों करोड़ रुपये का सोना एकत्र किया गया था। ऑनलाइन सूत्रों के मुताबिक, अकेले पंजाब ने 252 किलो सोना दान किया।

मेगाफोन के जरिये आभूषण दान की अपील की जा रही थी.

आनंद महिंद्रा ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा, ‘मुझे अच्छे से याद है। जब मैं सात साल का था, मैं अपनी मां के साथ मुंबई (तब बॉम्बे) की सड़क पर खड़ा था और सरकारी ट्रक गुजर रहे थे। मेगाफोन जोर-जोर से लोगों से देश की रक्षा के लिए अपने आभूषण दान करने की अपील कर रहे थे। मैं अब भी कल्पना कर सकता हूं कि वह चुपचाप अपनी कुछ सोने की चूड़ियां और हार इकट्ठा कर लेती थी। उसने उन्हें कपड़े की थैलियों में रखा और ट्रक पर स्वयंसेवकों को दे दिया। क्या आज की दुनिया में भी इतने उच्च स्तर, भावना और विश्वास का स्वैच्छिक कार्य किया जा सकेगा? 1962 की वह स्मृति मुझे याद दिलाती है कि किसी देश की राष्ट्रीय लचीलापन अंततः न केवल नीतिगत साधनों पर बल्कि उसके लोगों की संयुक्त इच्छा पर भी निर्भर करती है।

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आनंद महिंद्रा की पोस्ट पर खूब प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं

आनंद महिंद्रा की पोस्ट पर खूब प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं. एक यूजर ने लिखा, ‘मेरी मां ने भी अपना सोना जमा किया था और समय आने पर सारा सोना शुद्ध रूप में लौटा दिया. भारत सरकार को बधाई. एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘हमारे घर में आज भी ये बात कायम है कि मेरे पिता ने जब छात्र थे तब जो सोना दान किया था वो आज भी वैसा ही है.’

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