आसिम मुनीर को तालिबान ने दी धमकी: पाकिस्तान में हाल के हफ्तों में हालात बेहद तनावपूर्ण बने हुए हैं. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने सीधे तौर पर देश के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर को चुनौती दी है। टीटीपी की ओर से जारी वीडियो में एक कमांडर खुलेआम कहता है कि सेना को अपने सैनिकों को मरने के लिए भेजने के बजाय खुद युद्ध के मैदान में उतरना चाहिए. इस धमकी ने पाकिस्तानी सेना और आम जनता दोनों के लिए चिंता बढ़ा दी है.
8 अक्टूबर को टीटीपी ने खैबर पख्तूनख्वा के कुर्रम इलाके में बड़ा हमला किया था. टीटीपी का दावा है कि इस हमले में 22 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और गोला-बारूद और वाहन भी लूटे गए। जबकि पाकिस्तान की आधिकारिक संख्या में इसे कम दिखाया गया है. सेना ने 11 जवानों की मौत की पुष्टि की है.
आसिम मुनीर को तालिबान ने दी धमकी: वीडियो में धमकी
एक वीडियो में टीटीपी का सीनियर कमांडर काजिम कैमरे पर नजर आ रहा है. वह सीधे तौर पर मुनीर से कहते हैं, “अगर तुम मर्द हो तो हमसे मुकाबला करो. अगर तुमने अपनी मां का दूध पिया है तो हमसे लड़ो.” 21 अक्टूबर को, पाकिस्तानी अधिकारियों ने काज़िम के बारे में जानकारी देने वाले को 10 करोड़ रुपये (पीकेआर) का इनाम देने की घोषणा की।
युद्धविराम और कतर-तुर्किये मध्यस्थता
हाल के दिनों में सीमा पार से गोलाबारी और हवाई हमले हुए हैं, जिसमें नागरिकों की जान भी गई है। इस बीच, काबुल में पाकिस्तान और तालिबान के नेतृत्व वाले अधिकारी कतर और तुर्किये की मदद से अक्टूबर के मध्य में तत्काल युद्धविराम पर सहमत हुए। यह युद्धविराम दोहा में सार्वजनिक रूप से घोषित किया गया था. पाकिस्तान ने साफ कर दिया कि यह तब तक जारी रहेगा जब तक अफगानिस्तान अपने क्षेत्र में सक्रिय सशस्त्र समूहों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता.
विशेषज्ञों का मानना है कि टीटीपी की हालिया सफलताएं अन्य हिंसक समूहों को प्रोत्साहन देने वाली हो सकती हैं। लश्कर-ए-झांगवी (LeJ), इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस (ISKP) और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन इस पर कड़ी नजर रख रहे हैं. एलईजे ने अतीत में अल्पसंख्यकों पर हमला करके पाकिस्तान में सांप्रदायिक तनाव पैदा किया है, जबकि आईएसकेपी ने असंतुष्ट टीटीपी लड़ाकों को आकर्षित किया है।
बढ़ती हिंसा ने सेना की नाकामी को उजागर कर दिया
पिछले हफ्तों में टीटीपी के हमलों में बढ़ोतरी ने पाकिस्तान की सेना की नाकामी को उजागर कर दिया है. सेना खैबर पख्तूनख्वा (KPK) में उग्रवाद को नियंत्रित करने और जवाबी रणनीति बनाने में विफल नजर आ रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह न सिर्फ सुरक्षा चुनौती है बल्कि राजनीतिक और रणनीतिक संकट भी है. टीटीपी की बढ़ती हिंसा और अन्य समूहों की सक्रियता पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.
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